नई SWIS डिवाइस से होगा सिंचाई में बड़ा बदलाव, नहीं होगी पानी की बर्बादी


मुजफ्फरपुर. अक्सर पानी का उपयोग सभी क्षेत्र में किया जाता है. वही सबसे ज्यादा कृषि क्षेत्र में फसल के पटवन और पौधे को सींचने के लिए किए जाते हैं. लेकिन हम अक्सर देखते है कि पटवन या सिंचाई के सकत पानी की बरबादी भी होती है. बल्कि जरूरत से ज्यादा पानी भूमि पर होने से इसकी उर्वरता पर भी असर पड़ता है. इसी को देखते हुए MIT (मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के अंतिम वर्ष के मैकेनिकल इंजीनियर के छात्रों के द्वारा SWIS नाम का एक डिवाइस बनाया गया है हाल ही वही इसका प्रोटो टाइप डिजाइन भी हो चुका है.

इसको बनाने वाले छात्र आनंद ने लोकल 18 को बताया की इसका मोटिव है की भूमि को सिंचित किया जाने के लिए इस्तेमाल पानी के दुरुपयोग को रोकना Sustainable Water Irrigantion System नाम का यह प्रयोग आने वाले दिनों में मिल का पत्थर साबित हो सकता है.

सेंसर और एड्रिनो डिवाइस लगाया गया है
यह डिवाइस मैकेनिकल इंजीनियर विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर इरफान हैदर के देख रेख में बनाया गया है. इसमें लगे हुए सेंसर न सिर्फ पानी की आवश्यकता से अधिक पानी के बहाव को रोक देगा बल्कि भूमि के नमी को देखते हुए पानी की सप्लाई भी रुक जाएगी. यानी भूमि को नमी के लिए जितनी पानी जरूरत होगी उतनी पानी मिलेगी उसके बाद यह ऑटोमैटिक बंद हो जाएगा. इसके लिए SWIS प्रोजेक्ट में एक सेंसर और एड्रिनो डिवाइस लगाया गया है जो कि पानी की सप्लाई से लेकर पानी के बहाव को रोकने का काम करेगी और इससे खेतों में होने वाली पानी का प्रबंध बेहतर हो सकेगा और पानी को जरूरत के हिसाब से किया जा सकेगा इस्तेमाल.

प्रोटो टाइप प्रोजेक्ट है
प्रो इरफान हैदर ने लोकल 18 को बताया कि यह एक अभी प्रोटो टाइप प्रोजेक्ट है. और इसका बहुआयामी विकल्प है.यानी अभी यह प्रैक्टिकल रूप में सफल है और हमने इसके छात्र को इसको और भी बेहतर करने के लिए कहा है. इसमें लगे हुए सेंसर और एड्रिनो डिवाइस बेहद ही सुरक्षित है और टिकाऊ भी है. सबसे अच्छा की इसको प्रयोग में लाने के लिए बहाल ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता नहीं है. फिर इसे लैंड यानी भूमि की आकर के हिसाब से डेवलप किया जा सकता है.

यही नहीं बल्कि इसका उपयोग खासकर ऊन क्षेत्र के लिए मिल का पत्थर साबित होगा जहां पानी की उपलब्धता कम है किंतु खपत और बरबादी सबसे ज्यादा. जिसमे तेलंगाना आंध्र प्रदेश कर्नाटक मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान का इलाका जहां सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता तो है किंतु इसमें बर्बादी ज्यादा होती है. यह एक बेहतर संदेश है.

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