न खाद-न मेहनत…इस चीज की खेती करने में नहीं है कोई झंझट, पहले से दोगुनी होगी कमाई


सीतामढ़ी: सीतामढ़ी जिला कभी ईख की खेती के लिए काफी चर्चित रहा है. यहां बड़े पैमाने पर लोग ईख की खेती करते थे. लेकिन, रीगा चीनी मील बंद हो जाने के कारण किसान चिंतित थे. लेकिन, अब उन्हें परम्परागत खेती से हटकर नई खेती करने का तरीका मिल चुका है. इसे अपना कर किसान न सिर्फ ईख की खेती को मात दे रहे हैं. बल्कि, ईख की खेती से कई गुना अधिक कमा भी रहे हैं. किसानों का कहना है की ईख की खेती करने में पूरा साल लग जाता था और फसल एक बार ही निकलती है.

इस खेती से किसान कर रहे हैं कमाई
ईख की खेती करना छोड़ किसानों ने मक्के की खेती शुरू की. मक्के की खेती करने लगे तो मक्के के साथ दो अन्य फसल भी उसी खेत में निकाल लेते हैं, जो ईख की खेती में नहीं हो पाता था. ईख के खेती के तुलना मक्के की खेती से तीन गुना अधिक कमाई हो रही है. इसके अलावा हरी सब्जी और एक अन्य फसल भी उगने का मौका मिल जाता है. सीतामढ़ी जिले के रतवारा गांव निवासी किसान सुरेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया की मोटे अनाज की इन दिनों बाजार में मांग बढ़ गई है. बताया कि 1 बीघे में 10 हजार का खर्च है और मार्केट में 4 हजार तक बिक जाता है. ऐसे में वो 1 बीधे से 30 हजार रुपये तक की बचत कर रहे हैं.

ज्यादा कमा पा रहे हैं मुनाफा
किसान सुरेंद्र ने बताया कि फिलहाल वह करीब चार बीघा में मक्के की खेती कर रहे हैं. इसके बाद मक्का फसल तैयार हो जाएगी, तो उसकी कटनी होगी. कटनी करने के बाद उसमें गोभी लगाएंगे. फिर, धान भी उपजा कर निकाल लेंगे. किसान ने बताया की पहले ईख की खेती के कारण खेत पूरा साल भरा रहता था, जिसके कारण उसमें दूसरा कोई फसल तैयार नहीं हो पाता था.

खाद देने की भी नहीं होती जरूरत
मक्के की फसल चार महीने में तैयार हो जाती है. किसान ने बताया की खास बात इसमें यह है की बंद गोभी या फूल गोभी की फसल कटने के बाद मक्का लगा दिया जाए तो खाद देने की जरूरत नहीं पड़ती है.

Tags: Agriculture, Farmer story, Local18



Source link

x