पूरी दुनिया में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है, भारत सुरक्षित हाथों में होना चाहिए- एस जयशंकर


नई दिल्ली. दुनिया भर में उपजे युद्ध के माहौल पर विदेश मंत्री एस जयंशकर ने सोमवार को बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन-रूस युद्ध और अन्य भूराजनीतिक तनाव मुश्किल हालात बन रहे हैं, स्थिति और भी बिगड़ेगी. ऐसे में भारत को कठिन दौर से निकालने के लिए ‘सुरक्षित हाथों’ में रहना बहुत जरूरी है. जयशंकर दिल्ली में तमिल एजुकेशन एसोसिएशन द्वारा संचालित स्कूल में आयोजित एक प्रोग्रम में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में कई ऐसे युवा शामिल थे जो पहली बार मतदान करेंगे.

जयशंकर ने क्रार्यक्रम में पहली बार मतदाता बने लोगों को मताधिकार का प्रयोग करने का आग्रह किया. उन्होंने लोगों से अपील किया कि वोट का विकल्प का चयन करते समय ‘विश्व की वर्तामन स्थिती’ आपके दिमाग में होने चाहिए. चुनाव प्रचार के दौरान कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर इस्तेमाल किए जा रहे विमर्श को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि लोग यह कह रहे हैं कि पीओके भारत का हिस्सा होगा, पीओके हमेशा से भारत का हिस्सा था.’

उन्होंने कहा, ‘क्या हुआ, पीओके किन कारणों से वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे में है, हम सभी जानते हैं. अब, हम पीओके में बहुत अधिक अशांति देख रहे हैं. हम केवल अनुमान लगा सकते हैं कि लोग पीओके में उत्तेजित क्यों हैं. एक कारण यह हो सकता है वे कश्मीर घाटी में प्रगति देख रहे हैं और कह रहे हैं कि उनका जीवन बेहतर हो रहा है, मैं क्यों पीछे रहूं- शायद यही कारण है.’

जयशंकर की टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब पीओके में आटे की ऊंची कीमतों और बढ़े हुए बिजली बिल और करों के खिलाफ लोगों द्वारा प्रदर्शन किए जाने की खबरें आयी हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में बिहार के सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि पीओके भारत का है और देश इसे ‘किसी भी कीमत पर’ वापस लेगा.

कार्यक्रम में मौजूद लोगों द्वारा प्रश्न पूछे जाने से पहले जयशंकर ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि आज दुनिया में हालात ‘बहुत कठिन’ दिख रहे हैं क्योंकि यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, इजराइल-गाजा, इजराइल-ईरान के बीच मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही भारत के उत्तर में चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा मुद्दे हैं, सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि एशिया में, दक्षिण चीन सागर में तनाव है और इस सबके परिणामस्वरूप, दुनिया की आर्थिक स्थिति ‘बहुत मुश्किल’ स्थिति में है.

जयशंकर ने कहा, ‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जब हम भविष्य को देखते हैं, तो हम सोचते हैं कि भारत को ऐसे मुश्किल स्थिति से कैसे सुरक्षित निकाला जाए, हमारे चारों ओर मुश्किल हालात हैं. ये हालात और खराब होने वाले हैं लेकिन यह अत्यंत जरूरी है, ‘….हमारे पास सुरक्षित हाथ हों, अच्छे, समझदार लोग हों जो हमें बहुत कठिन दौर से बाहर निकाल सकें.’ पीओके पर दशकों से कश्मीर की स्थिति के संदर्भ में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि घाटी के लोगों को उन समस्याओं के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए जिनका उन्होंने सामना किया है.

जयशंकर ने कहा, ‘वहां और यहां के नेतृत्व का एक छोटा सा वर्ग है जिसने समस्या पैदा की… एक बार जब आप कश्मीर में सामान्य स्थिति लाते हैं, उन्हें पूरी तरह से भारत के साथ एकीकृत करते हैं, तो तत्काल क्या होता है… अर्थव्यवस्था में तेजी आई, पर्यटन में बढ़ोतरी हुई, लोग स्कूल जाने लगे, मेडिकल कॉलेज शुरू हुए, अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू हुईं.’ विदेश मंत्री ने दावा किया कि यह सब पहले भी हो सकता था, लेकिन ‘लोगों का एक छोटा वर्ग इसे पिछड़ा रखना चाहता था’ क्योंकि वे इससे ‘फायदा उठा रहे थे’ और राजनीतिक चीजों का प्रचार प्रसार कर रहे थे.

जयशंकर ने कहा, ‘जब सुशासन होता है तो क्या होता है, कश्मीर इसका अच्छा उदाहरण है.’ उनसे चाबहार बंदरगाह, पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध के संदर्भ में भारत-चीन संबंधों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर भी सवाल पूछे गए. उन्होंने कहा, ‘हमें भारत और चीन के बीच भी एक संतुलन बनाना होगा. एक तरह से, यह एक बहुत ही गतिशील स्थिति है. एक गतिशील स्थिति में, आप संतुलन कैसे बनाते हैं? दुनिया भी गतिशील है… फिर भी हम कूटनीति में ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं जो भौतिकी में बहुत कठिन होती है- गतिशील ताकतों के बीच वास्तव में संतुलन कैसे बनाया जाए.’

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