पेट में था बच्चा, सामने थे पाकिस्तानी दुश्मन, कारगिल युद्ध में ऐसे लड़ी एक फौजी मां, कहानी सुनकर करोगे सैल्यूट


देहरादून. कारगिल युद्ध को 25 साल पुरे हो गये, इस विजय को देश विजय दिवस के रूप में मनाता है. जहां इस लड़ाई में भारत के 527 जवान शहीद हुए, वहीं इस लड़ाई के कई हीरोज आज भी उस दौर में हुयी घटनाओं को शेयर करते हैं. इन हीरोज में एक है याशिका हटवाल त्यागी, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दोरान गर्भवती होने के बाबजूद भी मां का फर्ज भूलकर देश का फर्ज निभाया. आखिर क्या है याशिका हटवाल त्यागी की कहानी आइए जानते हैं.

उत्तराखंड के टिहरी जिले से निकली याशिका की शिक्षा दीक्षा केंद्रीय विद्यालय बरेली से हुयी. पिता भी आर्मी का हिस्सा थे और देश भक्ति और देश प्रेम घर में ही देखने को मिलता था, जिसके चलते साल 1994 में याशिका ने आर्मी को ज्वाइन किया. जिनकी पोस्टिंग 1997 में लद्दाख में हुयी थी. दरअसल, कारगिल की लड़ाई में भारतीय सेना के लॉजिस्टिक विंग की महिला ऑफिसर कैप्टन याशिका हटवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लड़ाई के दोरान कैप्टेन याशिका प्रेग्नेंट होने के बावजूद भी उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया.

ऑडी कार में जा रहे थे प्रेमानंद महाराज, तभी सामने से आ गई एक गाड़ी… फिर जो हुआ, नहीं होगा आंखों को भरोसा

उन्होंने बताया कि 1997 में जब पोस्टिंग लेह लद्दाख में की गई, उस समय भारतीय सेना की मैं पहली महिला ऑफिसर थी. जिसकी हाई एल्टीट्यूड और एक्सट्रीम कोल्ड क्लाइमेट में पोस्टिंग की गई थी. दो साल तक वहां पर तैनाती के दौरान ऐसे विपरीत मौसम में किस तरह से फौज काम करती है, इसके बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला. जब 1999 में कारगिल की जंग छिड़ गई तब ट्रेनिंग उनके काम आई.

हाई एल्टीट्यूड में लॉजिस्टिक का काम बहुत ही अलग तरीके से होता है. वहां जब दो-चार महीनों के लिए सड़कें खुलती हैं, तो उस दौरान साल भर के लिए जरूरी सामानों को लाना पड़ता है, जब कारगिल की जंग छिड़ी, तो पाकिस्तानियों ने हमारे सड़कों पर अपने बंकर बना लिए थे, ताकि वो हमारी लॉजिस्टिक सप्लाई को तोड़ सकें. ऐसे समय में जब भारतीय सेना वहां जुट रही थी और पाकिस्तानी सड़कों पर गोले बरसा रहे थे. उसमें लॉजिस्टिक बनाए रखना एक बड़ा चैलेंज था.

15 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ी जा रही थी लड़ाई
याशिका हटवाल ने बताया कि कारगिल की  लड़ाई 15 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ी जा रही थी. वहां पर तापमान -0 डिग्री सेल्सियस से कम जा रहा था. ऐसे मौसम में आपको ऑक्सीजन नहीं मिलता है, सांस नहीं ले सकते. दुश्मन के साथ लड़ाई से पहले हमें मौसम से लड़ना था. ऐसे समय में हमे अपने सैनिकों को ठंड से लड़ने के लिए भी तैयार करना था, लेकिन भारतीय सेना बहुत प्रोफेशनल और वेल ट्रेंड आर्मी है. हमारे सैनिकों का मनोबल बहुत ऊंचा है.

तीन महीने का गर्भ में था बच्चा
वहीं न्यूज़ 18 को जानकारी देते हए याशिका ने बताया कि उस समय मैं प्रेग्नेंट थी, लेकिन प्रेग्नेंसी कोई मेडिकल कंडीशन नहीं होती. वहां हाई एल्टिट्यूड था, सांस लेने में कठिनाई है और पेट में बच्चा है. उचित खाना नहीं मिल रहा है. कुछ भी गलत हो सकता था, लेकिन जब आप बड़े उद्देश्य के लिए खड़े होते हैं. उनके साथ उनका एक तीन साल का बेटा और एक तीन महीने का गर्भ में बच्चा, वहीं कारगिल में उप्पर की पोस्ट पर उनके पति दुश्मनों से लगातार लड़ रहे थे, जो उनकी हिम्मत बने थे. याशिका हटवाल ने नम आंखे आज भी उस लड़ाई की गाथाओं को बताती है जो उन्होंने 25 साल पहले की लड़ाई में जीता था. आज भी याशिका बताती है कि उनका मनोबल उनके जवान और उनकी हिम्मत उनके अधिकारी और उनके पति रहे हें.

Tags: Dehradun news, Kargil war, Uttarakhand news



Source link

x