बक्सर में इस साल सबसे अलग तरीके से होगा रावण दहन, AC मैकेनिक ने बनाया पुतला


रिपोर्ट- संजय कुमार

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले में शारदीय नवरात्री के साथ दशहरा में रावण वध को लेकर भी तैयारी चल रही है. जिले में रावण का पुतला बनाने वाले मिश्रवलिया निवासी जितेंद्र शर्मा अपने परिवार के साथ रावण और मेघनाद के पुतले को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुटे हुए हैं. उन्होंने लोकल 18 से बताया कि इस बार का रावण हर साल से काफी अलग दिखेगा. किला मैदान में दहन होने वाले रावण और मेघनाथ की लंबाई 5 फीट कम होगी. इतना ही नहीं रावण दहन भी अलग टेक्नोलॉजी से होगा.

उन्होंने बताया कि इस बार जिला मुख्यालय के अलावा विभिन्न शहर और गांवों के रामलीला कमेटी द्वारा रावण बनाने का ऑर्डर एक महीने पहले से ही मिला हुआ है. उनके द्वारा तैयार किए गए रावण के पुतले किला मैदान के अलावा चुन्नी, अखौरीपुर गोला, चौसा और मिश्रवालिया में दहन किए जाएंगे.

रावण दहन में होगा कोल्ड फायर
कारीगर जितेंद्र शर्मा ने बताया कि हर साल से इस बार के रावण में काफी चेंज किया गया है. ऐसा पहली बार होगा कि पहले रावण के 10 सिर और उसके मुकुट से कोल्ड फायर होगा. उसके बाद पटाखे की गूंज के साथ रावण का पुतला जलने लगेगा. कोल्ड फायर यानी कि रावण के सिर और मुकुट से इलेक्ट्रिक शॉर्ट से आग का फव्वारा एक मिनट तक निकलेगा.

इस साल पुतले में कई अन्य बदलाव भी किए गए हैं. इस साल रावण और मेघनाथ की हाइट 5 फीट कम रखी गई है. पुतलों के ड्रेस की बात करें तो कई वर्षों से लगातार रावण का ड्रेस नीचे पाजामा और ऊपर घाघरा टाइप का कुर्ता हुआ करता था. इस बार रावण का पुतला धोती में होगा. अभी तक हमेशा रावण के हाथ मे तलवार होती थी, लेकिन इस बार का रावण तीर धनुष से किला मैदान में राम जी के साथ युद्ध करेगा.

50 हजार की लागत से तैयार होते हैं पुतले
रावण-मेघनाथ के पुतले की लंबाई को लेकर उन्होंने बताया कि किला मैदान में रावण दहन के लिए जो जगह बनाई गई है, वहां पुतला खड़ा करने में दिक्कत होती है. क्रेन नहीं मिलती. इस वजह से बड़ा पुतला सही से खड़ा नही हो पाता. इस बार 40-45 फीट का पुतला रहेगा तो आसानी से और जल्दी खड़ा हो जायेगा. इससे पुतला सही से सीधा भी रहता है. इसे बनाने में लगने वाली लागत को लेकर उन्होंने बताया कि सभी पुतलों को तैयार करने में 40 से 50 हजार रुपए का खर्च आता है.

रावण का पुतला बनाने में 20 हजार रुपए के आसपास की लागत लगती है और अन्य पुतले 5 से 8 हजार रुपए में तैयार होते हैं. बक्सर के पुतला निर्माण में 26 बांस, 2 किलो जूट सूत, 3 किलो लोहे की तार, 15 किलो पेपर, 2 किलो रंगीन पेपर, 90 मीटर कपड़ा और पेंट का प्रयोग किया गया है. पटाखा रामलीला कमेटी तय करेगी. लगभग सभी पुतले बनकर तैयार हैं, जिसे एक साथ भेजने के लिए 4 ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है.

‘रावण बनाना पेशा नहीं.. शौक है’
जितेंद्र शर्मा ने बताया कि पुतला बनाना पेशा नहीं है. इस काम के लिए वह साल में केवल एक महीने का समय देते हैं. बाकि समय AC बनाने का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि पुतला बनाने के काम में उनके बच्चे और पत्नी मदद करते हैं. जिस दिन रावण खड़ा करना होता है उस दिन 8 लोगों को अपने साथ रखते हैं और साथ काम करने वालों को एक हजार रुपए प्रति आदमी देते हैं.

हालांकि, इस साल पुतला बनाने में हर साल की अपेक्षा 5 हजार रुपए ज्यादा का खर्च आया है. उन्होंने बताया कि वह इस काम को पिछले 6 सालों से कर रहे हैं. पहले केवल अपने गांव के लिए रावण बनाने का काम करते थे. धीरे-धीरे कई गांवों से ऑर्डर मिलने लगे. इस बार जिला मुख्यालय के अलावा 5 जगहों का ऑर्डर मिला हुआ है. बनाए जा रहे सभी पुतले दिल्ली मॉडल के हैं.

दिल्ली में सीखा था रावण बनाना
जितेंद्र शर्मा ने अपनी इस कला के बारे में बताया कि उनके पिता रेलवे में थे तो वो भी अपने पिता के साथ दिल्ली में ही रहते थे. वहां रामलीला कमेटी द्वारा रावण बनाया जाता था. वहां वो रावण बनाने वालों की मदद करते थे और उसी से पुतला बनाना सीख गए. जब उनके पिता जी रिटायरमेंट के बाद अपने पैतृक गांव बक्सर आ गए तो वह भी गांव आ गए और दशहरा में रावण बनाने का काम करने लगे.

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