बजट 2025: छोटे परमाणु रिएक्टर्स के लिए निर्मला सीतारमण का ऐलान
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वित्तमंत्री निर्माला सीतारमण ने अपने बजटीय भाषण में छोटे परमाणु रिएक्टर्स का जिक्र किया है. ये परम्परागत परमाणु संयंत्रों से एक तिहाई वाली क्षमता वाले होते हैं. लेकिन बहुत ही ज्यादा बड़े इलाके की जगह ये छोटे…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- वित्तमंत्री ने छोटे परमाणु रिएक्टर्स का जिक्र किया
- न्यूक्लियर एनर्जी मिशन के लिए 20 हजार करोड़ का प्रावधान
- छोटे रिएक्टर्स की ऊर्जा क्षमता 300 मेगावाट होगी
Budget 2025: भारत सरकार के बजट 2025 में वित्तमंत्री निर्माला सीतारमण ने अपने बजटीय भाषण छोटे परमाणु रिएक्टर्स खोलने के बात कही. उन्होंने न्यूक्लियर एनर्जी मिशन मिशन के लिए 20 हजार करोड़ के प्रावधान का ऐलान किया. मिशन में छोटे परमाणु संयंत्र खोले जाएंगे. आमतौर पर परमाणु संयंत्र एक बड़ी ईकाई होती है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भारत बड़े रिएक्टर से छोटे रिएक्टर्स पर जा क्यों रहा है, जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कर दी है? इससे क्या फायदा होगा और क्या इससे भारत की ऊर्जा की जरूरतें कितनी पूरी हो पाएंगे.
न्यूक्लियर एनर्जी मिशन
बजट में सरकार ने शोधकार्यों और छोटे और मॉड्यूलर रिएक्टर्स के विकास के लिए न्यूक्लियर एनर्जी मिशन का ऐलान किया और उसके लिए 20 हजार करोड़ रुपयों का भी प्रावधान किया. मिशन का लक्ष्य साल 2033 तक देश में 5 छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर बना कर उन्हें चालू करने का है जिससे कि देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में तेजी देखने को मिले.
कितनी होगी इनकी ऊर्जा क्षमता?
इन छोटे परमाणु संयंत्रों को भारत स्मॉल रिएक्टर्स (बीएसआर) नाम दिया जाएगा. छोटे और मॉड्लूयर न्यूक्लियर रिएक्टर खास आकार के न्यूक्लियर रिएक्टर होते हैं जिनकी एक यूनिट की ऊर्जा पैदा करने की क्षमता 300 मेगावाट की होती है यह परम्परागत परमाणु संयंत्रों की ऊर्जा क्षमता की एक तिहाई होती है.
सरकार ने ऐलान किया है कि वह देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाना चाहती है.
छोटे परमाणु संयंत्र
छोटे और मॉड्यूलर परमाणु संयंत्र परम्परागत बड़े संयंत्र की तरह नहीं होते हें इसलिए इन्हें बनाने में बहुत ज्यादा खर्चा नहीं आता है. इन्हें बनाना आसान होता है कि क्योंकि इनके हिस्से पहले ही फैक्ट्री में तैयार होते हैं और इन्हें बनाना आसान होता है. इसके अलावा इसके वही फायदे होते हैं जो परमाणु ऊर्जा के फायदे होते हैं.
बिना कार्बन की ऊर्जा
परमाणु संयंत्र का सबसे बड़ा फायदा यही बताया जाता है कि यह कार्बन मुक्त होता है. इसमें किसी तरह का ऐसा ईंधन इस्तेमाल नहीं होता है जिससे कार्बन या उसके पदार्थ निकलते हों. इस लिहाज से यह एक स्वच्छ और पर्यावरण के लिए अच्छा ऊर्जा स्रोत है. इसके अलावा जरा से यूरेनियम से इससे बहुत ही अधिक ऊर्जा पैदा की जा सकती है.
आमतौर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट के बड़े खतरे गिनाए जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
क्या फायदे होते हैं इसके
छोटे और मॉड्यूलर परमाणु संयंत्रों के फायदे इसकी डिजाइन में हैं. मॉड्यूलर होने के कारण इसके हिस्सों के एक जह से दूसरी जगह ले जाना आसान है. इसलिए इसे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से और जल्दी भी तैयार किया जा सकता है. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर इसकी क्षमता को बढ़ाया भी जा सकता है.
परमाणु संयंत्र के खतरे
परमाणु संयंत्र किसी भी आकार हो, इसमें कुछ समस्याएं और खतरे निहित होते हैं. सबसे पहले तो परमाणु संयंत्र बनाने में खर्चा बहुत आता है और इसके रखरखाव में जोखिम भी बहुत होता है क्योंकि इसमें रेडियो धर्मी पदार्थों का इस्तेमाल होता है. वहीं इससे निकलने वाले परमाणु कचरे का उपचार लगभग नामुमकिन होने के कारण इसके इस्तेमाल का भी पर्यावरणविद विरोध करते हैं.
क्या फायदे होते हैं इसके
छोटे और मॉड्यूलर परमाणु संयंत्रों के फायदे इसकी डिजाइन में हैं. मॉड्यूलर होने के कारण इसके हिस्सों के एक जह से दूसरी जगह ले जाना आसान है. इसलिए इसे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से और जल्दी भी तैयार किया जा सकता है. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर इसकी क्षमता को बढ़ाया भी जा सकता है.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
February 01, 2025, 12:29 IST