बेचूबीर धाम में लगता है भूतों का मेला, मिर्जापुर पहुंचते हैं लाखों लोग, जानिए मंदिर का इतिहास
मिर्जापुर: विज्ञान और टेक्नोलॉजी के दौर में मिर्जापुर का बेचूबीर धाम रहस्य बना हुआ है. धाम में तीन दिनों तक भूतों का मेला लगता है. कई प्रांत से लोग यहां पर भूत-प्रेत जैसी बाधा से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. मान्यता है कि बाबा के दरबार में दर्शन करने से निःसंतान दंपति को संतान की भी प्राप्ति होती है. आधुनिक युग में भूत-प्रेत और चुड़ैल के अस्तित्व को विज्ञान स्वीकार नहीं करता है. हालांकि, वर्तमान में भी काफी लोग इनमें यकीन रखते हैं. मिर्जापुर मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर बरही गांव में आयोजित होने वाले मेले में पांच लाख से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ती है.
बरही गांव में स्थित बेचूबीर धाम को लेकर मान्यता है कि यहां पर आने से तथाकथित भूत-प्रेत, रोग और निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में नवमी से एकादशी तीन दिनों तक मेले का आयोजन होता है. अंधविश्वास के मेले में भूत व प्रेत बाबा के दरबार में नाचते हैं. करीब 350 वर्षों से यह मेला चलता आ रहा है. भक्सी नदी में स्नान करने के बाद भक्त पुराना कपड़ा छोड़ देते हैं. वहीं, नया वस्त्र धारण करके दर्शन के लिए जाते हैं.
अक्षत लेकर आते हैं भक्त
बेचूबीर बाबा के दर्शन के लिए आने वाले भक्त अक्षत और पगड़ी लेकर आते हैं और दरबार में चढ़ाते हैं. भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए भक्त फूल, कपूर, माला, अगरबत्ती और अक्षत लेकर दरबार में आराधना करते हैं. मनरी बजने के बाद भक्तों में अक्षत वितरित किया जाता है. धाम में दक्षिण भारत, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित यूपी के अलग-अलग प्रान्तों से भक्त पहुंचते हैं.
यहां आने से पूरी होती है मुराद
भक्त रमेश यादव ने कहा कि बेचूबीर बाबा के बारे में सुना था. आज यहां पर आए हुए हैं. हमारे परिवार में कुछ दिक्कतें है, जिसके निवारण के लिए यहां पर आएं हुए हैं. गाजीपुर से आए संतलाल ने कहा कि बाबा की महिमा को अभी तक सुने थे लेकिन आज यहां पर आने के बाद महसूस हुआ है कि बाबा में शक्ति है. हमारी सारी परेशानी दूर हो गई है. पांच वर्षों से दर्शन के लिए आ रहे हैं.
शेर से लड़ते वक्त हुए थे घायल
बेचूबीर धाम के पुजारी बृजभूषण यादव ने बताया कि बेचूबीर बाबा भगवान शिव के अनंत भक्त थे. एक बार उनके ऊपर शेर ने हमला किया था. इसमें बेचूबीर बाबा घायल हो गए थे. यह शेर कोई साधारण शेर नहीं था. शेर से लड़ने के बाद बरही गांव में पहुंचे और आपबीती बताई. आपबीती बताने के बाद उनकी मृत्यु हो गई. कुछ दिनों बाद उन्होंने परिवार के लोगों को सपना दिया, उसके बाद समाधि बनाई गई. आज बाबा सबका कल्याण कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 22:22 IST