भगवान की भक्ति में त्‍याग दिया राजपाट, 27 लाख की नौकरी छोड़ बने साधु, लखनऊ में बनवा रहे भव्‍य मंदिर



3216833 HYP 0 FEATUREphotogrid.collagemaker.photocollage.squarefit 202371741624708 भगवान की भक्ति में त्‍याग दिया राजपाट, 27 लाख की नौकरी छोड़ बने साधु, लखनऊ में बनवा रहे भव्‍य मंदिर

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊः एक ओर जहां अयोध्या में प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है, तो वहीं उनके छोटे भाई अनुज की नगरी कहे जाने वाले लक्ष्मण पुरी (लखनऊ) में लक्ष्मण और उनकी संगिनी उर्मिला का भव्य मंदिर बनना शुरू हो गया है. लक्ष्मण और उर्मिला की मूर्ति नेपाल से बनकर आ रही है. यही नहीं, 81 फीट ऊंचे शिखर का यह भव्य मंदिर गुडंबा के गोहना कला में बन रहा है. लक्ष्मण और उर्मिला का श्री लक्ष्मणपुरी धाम एक एकड़ जमीन पर बन रहा है. जबकि मंदिर का गर्भगृह नौ हजार स्क्वायर फीट का होगा.

इस मंदिर का निर्माण करा रहे धीरेंद्र वशिष्ठ की लगातार चर्चा हो रही है. हर कोई जानना चाह रहा है कि यह शख्स आखिर कौन है. बता दें कि धीरेंद्र वशिष्ठ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह तक जानते हैं. जबकि धीरेंद्र वशिष्ठ बस्ती के एक छोटे से गांव से आते हैं और रघुनंदन प्रभु श्री राम के गुरु वशिष्ठ के वंशज हैं. धीरेंद्र वशिष्ठ ने बताया कि 36 साल की उम्र में उन्होंने साधु बनने का फैसला ले लिया था. इससे पहले वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में 27 लाख रुपये की सालाना नौकरी कर रहे थे. वह वर्ष 2013 में साधु बने और घर परिवार त्याग दिया. फिर वर्ष 2016 में जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज के संपर्क में आए और उन्होंने लखनऊ को दोबारा लक्ष्मणपुरी बनाने का लक्ष्य दे दिया.

पिता बोले बेटा मर गया…
महाराज धीरेंद्र वशिष्ठ ने बताया कि जब उन्होंने अपना घर परिवार त्याग कर साधु बनने का फैसला किया, तो लोगों ने बहुत मजाक उड़ाया. पिता ने भी कह दिया कि उनका बेटा अब मर चुका है. साथ ही बताया कि वर्ष 2021 में मंदिर का भूमि पूजन हो रहा था तो उसमें उनकी मां आईं और उन्होंने बोला कि तुम्हारी वजह से मैंने अपने मायके जाना छोड़ दिया है. लोग सवाल जवाब करते हैं. धीरेंद्र वशिष्ठ के मुताबिक, आज हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा इंजीनियर, आईएएस और पीसीएस बने, लेकिन कोई नहीं चाहता कि बेटा या बेटी साधु बने. यह एक बड़ा दुर्भाग्य है.

नवाबों का शहर नहीं है लखनऊ
धीरेंद्र वशिष्ठ कहते हैं कि लखनऊ शहर नवाबों का नहीं है. साथ ही बताया कि इतिहासकार स्वर्गीय डॉ. योगेश प्रवीण ने भी अपनी किताब लखनऊ नामा में लखनऊ को लक्ष्मणपुरी और लक्ष्मण का शहर लिखा है. ऐसे में लोग स्थान देवता को नहीं पूछ रहे हैं, जो कि इस शहर का देवता है. इसी उद्देश्य से भगवान श्री लक्ष्मण और मां उर्मिला के मंदिर का निर्माण लक्ष्मण पुरी धाम में श्री लक्ष्मण पीठ सेवा न्यास की ओर से कराया जा रहा है. यहां पर लक्ष्मण अपनी संगिनी उर्मिला का आलिंगन करते हुए नजर आएंगे. उन्होंने बताया कि मंदिर की बाउंड्री खड़ी हो चुकी है. आधा काम लगभग पूरा हो चुका है. अगले दो साल के अंदर मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा.

जानें कौन हैं धीरेंद्र वशिष्ठ?
बहरहाल, धीरेंद्र वशिष्ठ को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह समेत तमाम मंत्री और नेता जानते हैं. उन्‍होंने लखनऊ के एलपीएस से इंटर तक की पढ़ाई की है. इसके बाद अवध यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर पीजी किया है. वहीं, बीटेक करने के बार जॉब में गए थे. सार्टोरियस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में वह 2010 में रीजनल मैनेजर थे और तब उनको 27 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिलता था. फिलहाल धीरेंद्र वशिष्ठ मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा में हैं. इसके अलावा वह गोल्‍डटेक स्‍केल और ईबीसी में भी आरएम की जिम्‍मेदारी निभा चुके हैं.

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