‘भगवान ज्‍यादा खुश होंगे, आशीर्वाद बरसाएंगे’, हाईकोर्ट में नरसिंह अवतार पर बात, फिर ऐसा आदेश की सकते में सरकार – kerala high court say god will very hapy give blessings and order removal religious structure government puzzle


हाइलाइट्स

सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से धार्मिक निर्माण का मामलाकेरल हाईकोर्ट ने गवर्नमेंट लैंड खाली कराने का आदेश दियाभगवान विष्‍णु के नरसिंह अवतार का उदाहरण दे दिया फैसला

नई दिल्‍ली. सरकारी जमीन पर कब्‍जा कर निर्माण करना देश में आम बात है. गवर्नमेंट लैंड पर धार्मिक निर्माण करना उससे भी ज्‍यादा आम है. केरल हाईकोर्ट ने इसी आम चलन पर अपना डंडा चलाया है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को सख्‍त शब्‍दों में कहा कि सरकारी जमीनों पर कब्‍जा कर बनाए गए धार्मिक निर्माणों को तत्‍काल हटाया जाए. सरकार ने कहा कि ऐसा कदम उठाने से दिक्‍कत सामने आ सकती है. हालांकि, हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान भगवान विष्‍णु के नरसिंह अवतार का उल्‍लेख करते हुए कहा कि मंदिर बनाने के लिए सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने की जरूरत नहीं है. यदि इस जमीन को जरूरतमंदों में बांट दिया जाए तो भगवान ज्‍यादा प्रसन्‍न होंगे और आशीर्वाद देंगे.

केरल हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्लांटेशन कॉरपोरेशन द्वारा दायर याचिका पर फैसला द‍िया है. इसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ राजनीतिक गुटों द्वारा इसकी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने का जानबूझकर प्रयास किया गया था. जस्टिस पीवी कुन्‍हीकृष्‍णन ने अपने आदेश में कहा, ‘हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्‍णु का नरसिंह अवतार एक स्तंभ से निकला था. जहां तक ईश्‍वर को मानने वालों का सवाल है, तो चाहे उनका धर्म कोई भी हो, भगवान हर जगह हैं. उनके शरीर, उनके घरों और जहां भी वे जाते हैं ईश्‍वर हर जगह मौजूद हैं. इसलिए आस्थावानों को धार्मिक संरचनाएं बनाने के लिए सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने की जरूरत नहीं है. इसे भूमिहीन लोगों में वितरित किया जाना चाहिए और मानव जाति के लिए उपयोग किया जाना चाहिए. ऐसी स्थिति में भगवान अधिक प्रसन्न होंगे और ईश्‍वर को मानने वाले सभी लोगों पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे.’

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हाईकोर्ट का आदेश
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्यभर में सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने का आदेश दिया. आदेश में कहा गया कि इस तरह के अनधिकृत निर्माण विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच टकराव पैदा कर सकते हैं. जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे जिला कलेक्टरों को यह पता लगाने का निर्देश दें कि क्या किसी धार्मिक समूह द्वारा किसी सरकारी भूमि पर कोई अवैध, अनधिकृत संरचनाएं बनाई गई है. कोर्ट ने कहा, ‘यदि सरकारी भूमि पर कोई अवैध धार्मिक संरचनाएं हैं, तो जनता भी इसे जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाने के लिए स्वतंत्र है. जिला कलेक्टर को राज्य के मुख्य सचिव से आदेश प्राप्त होने की तिथि से 6 महीने की अवधि के भीतर ऐसी जांच करनी चाहिए.’

‘छह महीने के अंदर हटाएं’
कोर्ट ने आगे कहा कि एक बार जब सरकारी भूमि पर कोई अवैध धार्मिक संरचनाएं पाई जाती हैं, तो जिला कलेक्टर पुलिस की सहायता से जांच करने और प्रभावित पक्षों की सुनवाई करने के बाद 6 महीने के भीतर उन्हें हटाएं. कोर्ट ने कहा, ‘संबंधित ग्राम अधिकारियों और तहसीलदारों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य के जिला कलेक्टरों को सभी अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने के लिए एक समय सीमा के भीतर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि हम सांप्रदायिक सद्भाव के साथ रह सकें और देश को एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में मजबूत कर सकें, जैसा कि हमारे भारतीय संविधान की प्रस्तावना में है.’

पुलिस की दलील खार‍िज
हालांकि, पुलिस ने कहा कि बागान श्रमिकों (जिनमें से अधिकांश हिंदू समुदाय से हैं) ने पूजा के लिए छोटी-छोटी संरचनाएं बनाई थीं. उनके पास धार्मिक पूजा करने के लिए आस-पास कोई अन्य स्थान नहीं था. अदालत को बताया गया कि लंबे समय से पूजा की जाने वाली पुरानी मूर्तियों को हटाने से कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने स्वीकार किया कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता देता है. हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या किसी भी वर्ग को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थान स्थापित करने और बनाए रखने का अधिकार है. कोर्ट ने आगे कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि लोग ऐसा कुछ भी कर सकते हैं, जिससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो.

Tags: Kerala High Court, National News



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