भारतीय ज्ञान परंपरा राजसत्ता से मुक्ति की परंपरा है- प्रो.चन्दन कुमार

आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘मोहनदास करमचंद गांधी: समाज,राजनीति और दर्शन’ विषय पर आज गुरुवर प्रो. चन्दन कुमार का अध्यक्षीय वक्तव्य हुआ। प्रो.चन्दन कुमार ने कहा कि स्वातंत्र्योत्तर भारत के गांधी एक वटवृक्ष हैं जिस पर कई घास फूस पनपे। उन्होंने कहा कि गांधी की ज़िद और मांग सिर्फ हिन्दू समाज ही सह सकता था।इतनी सहिष्णुता सिर्फ हिन्दू समाज में ही थी, जिसने उन्हें स्वीकारा। हम समाज की केंद्रीयता में संस्था को बनाने वाले लोग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब गांधी ब्रिटिश औपनिवेशिक शिक्षा केंद्रों का विरोध करते हैं तो राज्यकेन्द्रित शिक्षा का विरोध करते हैं। गांधी ने अपने समय मे सैकड़ों नायकों को स्थापित किया। प्रो. चन्दन ने अपने वक्तव्य में जनार्दन पाठक और गांधी के बीच हुई वार्ता का जिक्र किया। बी.डी. भाटिया की पुस्तक ‘फिलॉस्फी ऐंड एजुकेशन’ को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी का शिक्षादर्शन राजसत्ता के प्रभाव से मुक्त था। गांधी के संपूर्ण जीवन दर्शन में उनकी ईमानदारी उल्लेखनीय है।

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सत्र के अन्य दो वक्ताओं में डॉ. प्रमोद तिवारी और अमित कुमार सुमन ने भी गांधी के शिक्षा दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न संस्थानों के प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।
प्रस्तुत हैं कुछ तस्वीरें-

आदरणीय दीपक मिश्रा की वॉल से

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