भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए वित्तीयकरण से बचना होगा: आर्थिक सर्वे
Agency:पीटीआई
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भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए वित्तीयकरण से बचना होगा, जो नीति और अर्थव्यवस्था पर वित्तीय बाजारों का प्रभाव बढ़ाता है. आर्थिक सर्वे 2024-25 में यह चेतावनी दी गई है. वित्तीयकरण से असमानता बढ़ती है और पब्लि…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- भारत को 2047 तक विकसित बनने के लिए वित्तीयकरण से बचना होगा.
- वित्तीयकरण से आर्थिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
- भारत को वित्तीय क्षेत्र के विकास और वृद्धि के बीच संतुलन बनाए रखना होगा.
नई दिल्ली. भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वित्तीयकरण (financialisation) की बढ़ती भूमिका से बचना होगा, जो कि वित्तीय बाजारों के प्रभाव को नीति और अर्थव्यवस्था पर अधिक बढ़ावा देने की प्रक्रिया है. यह चेतावनी आर्थिक सर्वे 2024-25 में दी गई है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि विकसित देशों में वित्तीयकरण के कारण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का कर्ज असामान्य रूप से बढ़ गया है, जो कुछ मामलों में तो नजर आता है, लेकिन कुछ कर्ज तो ऐसे होते हैं जो निगरानी में नहीं होते.
इसके साथ ही, सर्वे ने यह भी कहा है कि भारत को पश्चिमी देशों की तरह वित्तीयकरण और संपत्ति की कीमतों में बुलबुलों के खतरे से बचने की आवश्यकता है. भारत के वित्तीय नियामकों द्वारा जो कदम उठाए गए हैं, वे न केवल सिस्टम की स्थिरता के लिए जरूरी थे, बल्कि ये निवेशकों की भलाई के लिए भी थे. वित्तीयकरण से आर्थिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, खासकर उन देशों में जो कम और मध्यवर्गीय आय वाले हैं, जैसे भारत. ऐसा होने पर, आर्थिक विकास संपत्ति की कीमतों में वृद्धि पर निर्भर होने लगता है, जिससे असमानता बढ़ती है और पब्लिक पॉलिसी पर भी इन संपत्ति बाजारों का ज्यादा प्रभाव पड़ता है. भारत को वित्तीय क्षेत्र के विकास और वृद्धि के बीच एक संतुलन बनाए रखना होगा. इसे वित्तीयकरण से बचते हुए अपने आर्थिक लक्ष्यों की ओर बढ़ना होगा.
मुद्रास्फीति और बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक संकेत
सर्वे में बताया गया कि अक्टूबर-नवंबर 2024 के दौरान सिस्टम में तरलता की स्थिति सकारात्मक रही और बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत है. बैंकों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है और जमा और ऋण के बीच अंतर कम हो गया है. इसके अलावा, वित्तीय क्षेत्र में कई बदलाव हो रहे हैं. पहले, उपभोक्ता ऋण का हिस्सा कुल बैंकों के ऋण में बढ़ा है. FY14 से FY24 के बीच, उपभोक्ता ऋण का हिस्सा 18.3% से बढ़कर 32.4% हो गया है.
दूसरे, बैंकिंग के अलावा अन्य वित्तीय संस्थाओं का हिस्सा बढ़ा है. FY11 में बैंकों का हिस्सा कुल ऋण में 77% था, जो FY22 में घटकर 58% रह गया. इसके स्थान पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और बॉंड बाजार का हिस्सा बढ़ा है. तीसरे, इक्विटी आधारित वित्तपोषण ने भी लोकप्रियता हासिल की है. FY13 से FY24 के बीच, IPO लिस्टिंग में छह गुना वृद्धि हुई है और FY2024 में भारत ने IPO लिस्टिंग के मामले में दुनिया में पहला स्थान हासिल किया.
क्या है वित्तीयकरण
वित्तीयकरण (Financialisation) एक ऐसा प्रक्रिया है, जिसमें वित्तीय बाजारों और वित्तीय उत्पादों का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर अधिक बढ़ जाता है. इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था का विकास केवल उत्पादन और सेवाओं पर निर्भर न होकर, वित्तीय बाजारों, जैसे शेयर बाजार, संपत्ति बाजार, और अन्य निवेश विकल्पों पर भी होने लगता है.
New Delhi,Delhi
February 01, 2025, 03:01 IST