मध्यप्रदेश की पहली महिला बॉडी बिल्डर जीता ब्रॉन्ज, जानिए संघर्ष की दिलचस्प कहानी


इंदौर. कहते हैं जोश और जुनून कायम हो तो मुश्किलों से लड़कर भी मंजिल तक पहुंच सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया मध्य प्रदेश की पहली महिला बॉडी बिल्डर और इंदौर की बेटी वंदना ठाकुर ने. भारतीय बॉडी बिल्डर्स फेडरेशन (आईबीबीएफ) द्वारा मालदीव्स के कैनारेफ रिज़ॉर्ट में आयोजित 15वें वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग और फिजीक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2024 में मध्य प्रदेश की बॉडी बिल्डर वंदना ठाकुर ने ब्रॉन्ज़ मैडल जीता है. यह मेडल वंदना ने महिला बॉडी बिल्डिंग के अंतर्गत 55 किलोग्राम से अधिक की श्रेणी में जीता है. इस प्रतियोगिता में दुनिया भर से बॉडी बिल्डर्स ने हिस्सा लिया, जिसमें प्रदेश की मशहूर बॉडी बिल्डर ने इकलौती बिल्डर के रूप में गर्व से भारत का प्रतिनिधित्व किया.

वंदना ठाकुर ने कहा कि उन सभी को दिल से धन्यवाद् देती हूँ, जिन्होंने इस यात्रा में मेरा साथ दिया. यह जीत सिर्फ मेरी नहीं है, बल्कि यह विजय घोष हमारे देश का है. जब मैं मंच पर खड़ी थी और कांस्य पदक ले रही थी, उस समय मैंने अपनी यात्रा के हर उस पल को महसूस किया, जिसे मैंने न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत कठिनाइयों से जूझते हुए पार किया. इस बार मैने प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने के लिए तमाम चुनौतियों का सामना किया क्योंकि इस बार में सेहत ठीक नहीं थी, मांसपेशियों में काफी दर्द होता था रोजाना 8 घंटे का वर्कआउट मेरे लिए संघर्ष जैसा होता था, फिर भी कोशिश की और वहां तक पहुंची और ब्रॉन्ज हासिल किया थोड़ी और मेहनत करती तो हाथ में गोल्ड होता.

इसके अलावा फाइनेंशियल प्रॉब्लम भी रही क्योंकि हाल ही में इंडोनेशिया में प्रतियोगिता के लिए गई थी. जहां सारी सेविंग खत्म हो गई, फिर लोगों से मदद मांगी लेकिन कोई भी आगे नहीं आया जैसे तैसे कुछ रुपए जमा किए और वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंची. इसलिए समाज से कहना चाहूंगी कि जब कोई खिलाड़ी या प्रतिभागी आपसे मदद मांग रहा है तो आप उसकी मदद करे हो सकता है आपकी मदद से वो देश को कोई मेडल दिला सके. सरकार भी मदद नहीं करती है तो सरकार भी इस क्षेत्र में मदद करे हम जैसे प्रतिभागियों को सिर्फ एक साथ की जरूरत होती है फिर हम देश को कई मेडल दिला सकते हैं.

वंदना ठाकुर ने भले ही इस बार बॉडी बिल्डिंग में ब्रॉन्ज हासिल किया हो लेकिन वो कहती हैं कि उनका देश को गोल्ड दिलवाने का सपना अधूरा रह गया. लेकिन अगली बार फिर से कोशिश होगी. वंदना के परिवार में केवल चुनिंदा दोस्तों का साथ है, जिसकी वजह से वो यहां पहुंची है माता पिता ने कई साल पहले साथ छोड़ा, जिसके बाद गुज़र बसर करना मुश्किल हो गया. कई बार तो दिनभर में केवल एक ब्रेड खाने को मिलता.

Edited by Anuj Singh

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