मवेशी कचरा खा रहे हैं और… HC के सामने आया मामला, भड़क गए जज, केजरीवाल सरकार से पूछा- अफसरों को वेतन क्यों?


नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में शुद्ध दूध की आपूर्ति सुनिश्चित ना करने और मवेशियों को लगाए गए कृत्रिम हार्मोन को रोकने में नाकाम रहने के लिए बुधवार को दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली पुलिस और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को फटकार लगाई. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं किया है कि राजधानी में चल रही डेयरियां साफ-सफाई और स्वच्छता संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन कर रही हैं या नहीं.

बेंच ने टिप्पणी की कि वह यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि मवेशी लैंडफिल (कचरा भराव क्षेत्र) स्थानों के पास खतरनाक कचरा खा रहे हैं और उनका दूध बच्चों को पिलाया जा रहा है या मिठाई और चॉकलेट तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार से कहा, “आज, प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं जैसे कि डेयरियां मौजूद ही नहीं हैं. यही वह दूध है जो मिठाइयों और चॉकलेटों में इस्तेमाल होता है और यह हमारे भोजन में प्रवेश कर रहा है. किसी वैधानिक प्राधिकारी द्वारा उनकी जांच नहीं की जा रही है… हम हैरान करने वाली कहानियां सुन रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “मवेशियों को दूसरी मंजिल पर ले जाया गया है और फिर वे कभी नीचे नहीं आते. जरा! क्रूरता के बारे में सोचिए. कल्पना कीजिए कि वे कितने अपशिष्ट और मल-मूत्र के बीच रहते हैं. ऑक्सीटोसिन एक प्रतिबंधित दवा है, लेकिन यह इन डेयरी कॉलोनियों में बड़े पैमाने पर है. कृपया अपने अधिकारियों से पूछें कि उन्होंने क्या किया है? इन अधिकारियों को वेतन क्यों मिल रहा है? जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.”

बार एंड बेंच के मुताबिक, मुख्य सचिव कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कार्यवाही में शामिल हुए थे. दिल्ली हाईकोर्ट वकील सुनयना सिब्बल और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में नौ डेयरी कॉलोनियों को अन्य उचित स्थानों पर स्थानांतरित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.

बेंच ने चेतावनी दी कि अगर दिल्ली पुलिस नकली ऑक्सीटोसिन (मवेशियों में दुरुपयोग होने वाला हार्मोन) की बिक्री रोकने में असमर्थ है, तो कोर्ट यह काम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने पर विचार करेगा. हाईकोर्ट ने कहा, “अगर पुलिस अक्षम महसूस कर रही है, तो हम इसे सीबीआई को सौंप देंगे. कृपया समझें कि आप कहाँ जा रहे हैं. यह [दूषित दूध] छोटे बच्चों और छोटे शिशुओं को प्रभावित कर सकता है. पुलिस को थोड़ी तत्परता दिखानी चाहिए.”

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