मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर का वैष्णों देवी से है सीधा कनेक्शन, जानें क्या है इस मंदिर की पौराणिक मान्यता
जितेंद्र झा/लखीसराय : जिले के बड़हिया में पौराणिक सिद्ध पीठ है. जिसको लोग मां बाला त्रिपुर सुंदरी के नाम से जानते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार मंदिर के मुख्य पुजारी श्री विनय कुमार झा बताते हैं कि जम्मू कश्मीर के कटरा में मां वैष्णो देवी के संस्थापक श्रीधर ओझा के द्वारा ही इनकी स्थापना की गई थी.
यह सिद्धपीठ बिहार सहित राष्ट्रीय स्तर पर अपने पौराणिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है. सफेद संगमरमर से निर्मित 151 फीट ऊंचे मंदिर के गुंबद पर स्वर्ण कलश दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. मंदिर प्रांगण की रात में लाइटिंग की वजह से एक अलग ही मनमोहक दृश्य दिखाई देता है.
श्रीधर ओझा ने बड़हिया में मां जगदंबा को किया था स्थापित
मुख्य पुजारी श्री विनय कुमार झा बताते हैं कि पौराणिक मान्यता के अनुसार बड़हिया ग्राम की स्थापना पाल वंश के काल में हुआ माना जाता है. श्रीधर ओझा ने हिमालय की गुफा में तपस्या के बाद बड़हिया में मां जगदंबा को स्थापित किया था. उस वक्त बड़हिया गांव पूरब में गंगा तथा पश्चिम में हरुहर नदी से घिरा हुआ था. यह मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ है.
यहां स्वच्छ एवं पवित्र मन से मांगी गई हर मुरादें मां पूरी करती है. त्रिपुर सुंदरी मां दुर्गा का ही रूप हैं. ऐसी मान्यता है कि बाल स्वरूप में विराजने वाली मां सहज ही अपने भक्तों की पुकार को सुनकर मुराद पूरी करती है. इसी कारण दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन-पूजन को पहुंचते हैं. मां की असीम कृपा से श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
जमीन से 12 फीट उंचा है मंदिर का गर्भगृह
151 फीट ऊंचे मंदिर का गुंबज कोसों दूर से नजर आता है. यहां मां गंगा के पावन मिट्टी से पिंड की नित्य दिन पूजा होती है. मंदिर का गर्भगृह जमीन से लगभग 12 फीट ऊंचा है. मंदिर को नवरात्र के अवसर पर भव्य रूप से कोलकाता के कारीगरों के द्वारा सजाया जाता है. मंदिर प्रांगण में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को दूर-दराज से हजारों श्रद्धालुओं का मेला लगता है.
मंदिर के ऊपरी तल पर मां दुर्गा के नौ रूपों की स्थापित प्रतिमा श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. मां जगदंबा यहां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में पिंड स्वरूप में विराजी हैं. माता के दैनिक स्वरूप पुष्प श्रृंगार एवं प्रातः और संध्या में आरती का स्वरूप अलौकिक और अद्भुत होता है.
.
Tags: Bihar News, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED : June 14, 2023, 22:30 IST