मां सीता के भक्तों के लिए खुशखबरी, अब इस तीर्थस्थल पर जाना होगा आसान, जल्द बनेगी चौड़ी सड़क


सीतामढ़ी: सीतामढ़ी जिले के पंथपाकर धाम मंदिर आने जाने अब कठिनाई नहीं होगी. रामायण सर्किट से जुड़े इस स्थल पर जाने के लिए 30फीट चौड़ा सड़क बनाने का कार्य शुरू हो गया है. इस परिसर के पर्यटकीय विकास कार्य को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. जिला प्रशासन की ओर से सूचना जारी की गई है. निर्धारित तिथि तक प्रभावित परिवारों से दावा-आपत्ति की मांग की गई है. बता दें कि जिले के बथनाहा प्रखंड के पंथपाकड़ मंदिर को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा रहा है. मंदिर का जीणर्णोद्धार और परिसर को विस्तारित करने के साथ मुख्य सड़क से मंदिर तक सड़क की चौड़ाई 30 मीटर तक बढ़ाई जाएगी.

सड़क की चौड़ाई बढ़ जाने से पर्यटकों को मंदिर तक पहुंचने में असुविधा नहीं होगी. राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से पंथपाकड़ के पर्यटकीय विकास के लिए 1.966 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू है. सीतामढ़ी -सुरसंड पथ पर अवस्थित पंथपाकर जाने के लिए मुख्य सड़क से करीब 5 किलोमीटर दूर अंदर जाना पड़ता है और रास्ता भी काफी संकीर्ण है. जिसके वजह से काफी परेशानी होती है. वहां जाने के लिए अभी पतली सड़क है.

50 फीट चौड़ी सड़क का होगा निर्माण
स्थानीय लोगों की मांग थी कि 50 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण कराया जाए. प्रथम चरण में एसआईए सर्वे को लेकर अधिसूचना जिला भू-अर्जन विभाग की ओर से जारी की गई थी. जिन भूस्वामियों की जमीन चिह्नित की गई है, उन्हें अधिग्रहण के 45 दिनों के अंदर प्रथम किस्त का अग्रिम भुगतान किया जाना है.

क्या है इस स्थल का इतिहास जाने
पंथपाकड़ माता जानकी की विश्राम स्थली है और यही राम परशुराम संवाद स्थल भी है. कहा जाता है कि जनकपुरधाम में राम-सीता विवाह के बाद अयोध्या जाते समय मां जानकी की डोली यहां रुकी थी. इसी स्थान पर पाकड़ के पेड़ के नीचे माता सीता ने रात्रि विश्राम किया था.ठीक वहीं पर आज उनका उनका मंदिर विराजमान है. दिन-रात उनकी पूजा अर्चना होती है. रात्रि विश्राम के बाद सुबह में पाकड़ के पेड़ की टहनी तोड़कर माता सीता ने दातून की थी और उसका चीरा वहीं फेंक दिया था. उस चीरे से आज सैकड़ो से अधिक पाकड़ के पेड़ और उनकी श्रृंखलाएं हैं. खास बात यह है कि सभी पेड़ों की जड़ें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं.

वाल्मीकि रामायण में इस जगह का उल्लेख
इस स्थल का उल्लेख वाल्मीकि रामायण के बालकांड 74,75 एवं 76 वें सर्ग में है. इस स्थल का प्रमाण अध्यात्म रामायण के सप्तम सर्ग में एवं आनंद रामायण के 341 से 381वें दोहा में भी उल्लेखित है. राजा दशरथ अपने चारों पुत्रों, पुत्र वधुओं देवी-देवताओं एवं सेना सहित अयोध्या लौट रहे थे तो जनकपुर धाम से 12 कोस की दूरी पर महर्षि परशुराम ने क्रोधित होकर अपने तपोबल से धूलभरी आंधी लाकर रास्ते को अवरुद्ध कर दिया था. यह देखकर मां जानकी सहित चारों बहनों की डोली इसी जगह पर पाकड़ पेड़ के नीचे रखी गई थी.

माता जानकी से जुड़े तीन बड़े स्थल है
इसके बाद महर्षि परशुराम ने श्री राम को अयोध्या जानेका रास्ता दिखाया. इसी जगह एक तालाब भी है, जो आज तक नहीं सुखा. बताया जाता है की माता जानकी इसी में कुल्ली की थी. तबसे कई बार इस पोखर में पंप सेट लगाकर खाली भी कराने की कोशिश की गई थी. लेकिन, इसका पानी कम नही हुआ. रामायण काल से जुड़े इस स्थल पर लोगो का आना जाना रहता हैं. बता दें कि सीतामढ़ी में माता जानकी से जुड़ी तीन बड़े स्थल है. जिसमे एक पंथपाकड भी है.

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