मुख्तार अंसारी की मौत पर ‘सियासी डोरे’! पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और असदुद्दीन ओवैसी, अब धर्मेंद्र यादव भी पहुंच रहे परिवार से मिलने


हाइलाइट्स

माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब उसके परिवार पर सियासी डोरे डाले जा रहे हैं
गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद का यूसुफपुर फाटक इन दिनों सियासत का एपि सेंटर बन चुका है

लखनऊ. कहते हैं सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता, लेकिन ये भी सच है कि हमेशा दुश्मन भी नहीं होता. सियासी नफा-नुकसान के हिसाब से थोड़ा पास-थोड़ा दूर की कहानी चलती रहती है. पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब उसके परिवार पर सियासी डोरे डाले जा रहे हैं. भावनाओं के ज्वार में सियासी उबाल लाने की कोशिश भी की जा रही है.

गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद का यूसुफपुर फाटक इन दिनों सियासत का एपि सेंटर बन चुका है. माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सियासी हमदर्दी दिखाने की भरपूर कोशिश हो रही है. स्वामी प्रसाद मौर्य रविवार को मुख्तार अंसारी के परिजनों से मिलने पहुंचे और कैमरे के सामने आकर हमदर्दी की आड़ में सरकार पर आरोप लगाना नहीं भूले. रात होते होते AIMIM चीफ असदउद्दीन ओवैसी भी गाजीपुर पहुंच गये और परिवार के लोगों के साथ न सिर्फ मुलाकात की बल्कि डिनर की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की और एक शेर लिखा कि “इंशा अल्लाह इन अंधेरों का जिगर चीरकर नूर आएगा, तुम हो ‘फिरौन’ तो ‘मूसा’ भी जरूर आएगा”. गाजीपुर जाने से पहले ओवैसी ने लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि परिवार से बात हुई है. जाहिर है हमदर्दी के बहाने सियासी डोरे डाले जा रहे हैं.

मुख़्तार का रहा है राजनीतिक रसूख
माफिया मुख्तार अंसारी के राजनीतिक रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1996 में पहली बार विधायक बनने के बाद लगातार वो चुनाव जीतता रहा, लेकिन 2022 में कानूनी दांवपेंच में उलझ गया. विधानसभा से लेकर लोकसभा तक चुनाव में उसका दखल रहा है और बीएसपी से लेकर समाजवादी पार्टी तक उसको सिर आंखों पर बिठाए रहे. इस बीच उसने अपनी पॉलिटिकल पार्टी कौमी एकता दल भी बनाई थी लेकिन बाद में उस पार्टी का अस्तित्व समाप्त हो गया. सियासी कद को देखते हुए डोरे डालने की बात को एक्सपर्ट अपने नजरिए से बयां कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय कहते हैं कि लोकसभा चुनाव नजदीक है, लिहाजा सियासी हमदर्दी दिखाई जा रही है.

सुभासपा ने अब्बास अंसारी से किया किनारा
सियासत में हर फैसला और बयानबाजी नफा नुकसान देखकर ही होता है, लेकिन इसे समय का तकाज़ा ही कहेंगे कि जिस पार्टी से मुख्तार का बेटा विधायक है, अब वही पार्टी उसे अपना नहीं मान रही है. सुभासपा के सिंबल पर चुनाव जीतने वाले अब्बासी अंसारी को सुभासपा कह रही है कि वो सपा के विधायक हैं. मऊ से आया अरविंद राजभर का ये बयान बताता है कि मुख्तार को लेकर सुभासपा में कभी हां कभी न वाली स्थिति है, क्योंकि ओम प्रकास राजभर मुख्तार और परिवार की तारीफ करते रहे हैं.

अखिलेश ने धर्मेंद्र यादव को  परिवार से मिलने भेजा
मुख्तार की मौत के तुरंत बाद सियासी तूफान सा आ गया था. संवेदना दिखाते हुए अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, राहुल गांधी समेत तमाम बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर घटना को लेकर नाराजगी जताई थी. अब अखिलेश यादव ने भी परिजनों से मुलाकात करने के लिए धर्मेन्द्र यादव को गाजीपुर भेजा है. हालांकि ओवैसी की पार्टी के प्रवक्ता आसिम वकार कह रहे हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को खुद गाजीपुर जाना चाहिए था. मौसम चुनावी है. सियासत का ऊंट कब किस करवट बैठेगा ये कोई नहीं जानता. बहरहाल सियासत का इमोशनल कार्ड खेलने की भरपूर कोशिश हो रही है. ऐसे में गाजीपुर का यूसुफपुर फाटक कब तक सियासी एपि सेंटर बना रहता है ये देखने वाली बात होगी.

Tags: Lucknow news, Mafia mukhtar ansari



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