मेरा 11 लाख का बिल है… HC पहुंची कैंसर पीड़िता, इंश्‍योरेंस कंपनी के खिलाफ लगाई गुहार, जज ने दिया बेहद कड़ा आदेश


नई दिल्‍ली. अक्‍सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जब बीमा कंपनी रोगी के इलाज में खर्च राशि का भुगतान करने से मना कर देती है। ऐसे में रोगी को कैश-लेस स्‍कीम की जगह खुद ही अपने इलाज का पूरा खर्च उठाना पड़ता है। बाद में वो कानून के माध्‍यम से बीमा कंपनी के खिलाफ अदालतों में गुहार लगाते हैं। ऐसे ही एक मामले में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एक कैंसर रोगी के इलाज पर हुए खर्च का दावा स्वीकार नहीं कर उसे परेशान करने और मानसिक पीड़ा देने के लिए न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को महिला रोगी को चार हफ्ते में राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया. स्तन कैंसर से पीड़ित महिला ने इलाज के खर्च के रूप में 11 लाख रुपये का दावा किया है.

न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद ने कहा कि ‘मेडी-क्लेम’ नीति में कोई अस्पष्टता नहीं है और दो लाख रुपये की उप-सीमा कीमो-इम्यूनोथेरेपी पर लागू नहीं होगी, जो उपचार का एक नया रूप है और यह कीमोथेरेपी तथा इम्यूनोथेरेपी का संयोजन है जिस पर उप-सीमा लागू नहीं होगी. अदालत ने कहा, “ कैंसर रोगी याचिकाकर्ता को बिना किसी कारण के परेशान किया गया है और उसे राशि से वंचित किया गया है, जिससे उसे मानसिक पीड़ा हुई. यह अदालत प्रतिवादी संख्या 1/बीमा कंपनी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाती है, जिसका भुगतान चार हफ्ते के अंदर याचिकाकर्ता को किया जाए.”

हाईकोर्ट ने कहा कि बीमा लोकपाल द्वारा पारित आदेश का अक्षरशः अनुपालन किया जाना चाहिए जिसमें कंपनी को शिकायतकर्ता के दावों का निपटान करने का निर्देश दिया गया था. महिला ने कंपनी से 44.5 लाख रुपये का बीमा कवर लिया था और वह चौथे चरण के स्तन कैंसर से पीड़ित हो गई जो अब लिम्फ नोड्स और दोनों फेफड़ों तक फैल चुका है. वह कीमो-इम्यूनोथेरेपी उपचार करा रही है.

FIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 19:27 IST



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