मौत के बाद शरीर के अंगों में क्या होता है? क्या वह भी मर जाते, वैज्ञानिकों ने खोजी नई चीज


What happens to organs after death: किसी की मौत के बाद हम यही जानते हैं कि उसके शरीर के सारे अंगों की भी मौत हो गई है लेकिन एक हालिया रिसर्च में यह बात सामने आई है कि किसी की मौत के बाद भी उसके कई अंग या कोशिकाएं शट डाउन नहीं होती बल्कि वह नए तरीके से काम करने लगती हैं.रिसर्च में कहा गया है कि किसी को क्लीनिकली डेथ घोषित कर दिए जाने के बाद शरीर के अंग लगातार काम करते रहते हैं और यहां तक कि वे नई क्षमता विकसित कर लेते हैं. यहां मरने के बाद शरीर के अंगों में क्या-क्या बदलाव होता है इसके बारे में वैज्ञानिकों ने नई चीजों की पड़ताल की है.

नई भूमिका में आ जाती है कोशिकाएं
टीओआई के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन और सिटी ऑफ होप मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है कि मौत के बाद शरीर के सारे अंग कुछ समय बाद मर जाते हैं. प्रोफेसर पीटर नोबल और डॉ. एलेक्स पोझितकोव के नेतृ्त्व में किए गए इस अध्ययन में मौत और जीवन के बीच शरीर के अंगों पर बारीक नजर डाली गई है. रिसर्च में कहा गया कि जीव की मौत के बाद बॉडी के कई खास सेल्स जीवित रहते हैं और इनका फंक्शन भी जारी रहता है.ये सिर्फ जीवित ही नहीं रहते बल्कि नई भूमिका में भी आ जाते. उदाहरण के लिए मृत मेंढ़क की स्किन की कोशिकाएं नए वातावरण के हिसाब से खुद को ढालने लगती है.इन कोशिकाओं में बेहद बारीक बालों की तरह संरचना जिसे सिलिया कहते हैं, विकसित हो जाती है.यह विशेषताओं जीवित कोशिकाओं में नई मिलती है.अब तक का विज्ञान यह मानता है कि जब किसी को क्लीनिकली रूप से मृत घोषित कर दिया जाता है और तब से अगर शरीर के अंग, सेल्स और टिशू ऑक्सीजन को ग्रहण कर रहा है तो उसके अंग काम कर रहे हैं. आमतौर पर इसी अवस्था में अंगों को निकाल कर ऑर्गेन ट्रांसप्लांट में इस्तेमाल किया जाता है. ब्रेन डेड मरीजों से ऐसे ही अंग निकाले जाते हैं लेकिन नई खोज से अंग दान का पैटर्न बदल सकता है.

इस खोज के बाद क्या होगा
रिपोर्ट की मानें तो इस खोज के बाद मेडिकल क्षेत्र में अंग दान को लेकर क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है. सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि जब किसी की मौत हो जाएगी तो उसके सेल्स को लेबोरेटरी में इस्तेमाल के लिए रख दिया जाएगा. इसके बाद उस सेल्स में दवाइयों के असर पर प्रयोग होगा. यानी अब तक हम दवाइयों का ट्रायल पहले जानवरों पर करते हैं लेकिन इससे सीधे जीवित इंसानी कोशिकाओं या टिशू पर ट्रायल होना शुरू हो जाएगा. वहीं कुछ टिशू को निकाल कर जीवित व्यक्ति में फिट किया जा सकता है. इसके अलावा अगर लंग्स में फाइब्रोसिस है तो उसकी जगह हेल्दी कोशिकाओं को फिट किया जा सकता है. वहीं धमनियों में जो प्लाक जमा हो जाता है उसका भी निदान किया जा सकता है.

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