यदि ‘इंडिया’ के चश्मे से भारत को देखोगे तो देश कभी समझ नहीं आएगा, अमित शाह ने कांग्रेस और विपक्ष पर बोला हमला



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नई दिल्ली. संविधान को मजबूत करने के लिए देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराए जाने की जरूरत पर बल देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि यदि ‘इंडिया’ के चश्मे देखा जाए तो भारत को कभी नहीं समझा जा सकता. उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्हें शर्म करनी चाहिए.

राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान किसी की नकल नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बात लेने के साथ साथ इसमें अपने देश की परंपराओं का पूरा ध्यान रखा गया है.

गृह मंत्री ने गुलामी की मानसिकता से निकलने पर बल देते हुए कहा, “अगर इंडिया के चश्मे से देखोगे तो भारत कभी समझ नहीं आएगा. पूरा जीवन निकल जाएगा. इसीलिए इन्होंने (विपक्षी दलों ने) अपने गठबंधन का नाम भी इंडिया रखा है.”

शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनकी ओर संकेत करते कहा, “अभी कुछ राजनेता आये हैं, 54 साल की आयु में अपने को युवा कहते हैं. घूमते रहते हैं और (कहते हैं कि सत्तारूढ़ दल वाले) संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि संविधान बदलने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 368 में ही है.”

गृह मंत्री ने दावा किया कि संविधान संशोधन में यह देखने वाली बात है कि किसने देश के नागरिकों की भलाई के लिए संशोधन किए और किसने अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए इसमें परिवर्तन किए. उन्होंने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी सरकार के शासनकाल में किए गए संविधान संशोधनों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि संविधान में पहला संशोधन नागरिकों के मूलभूत अधिकार में कटौती करने के लिए लाया गया था.

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी के लोग चुनाव हारने के बाद ईवीएम को लेकर घूमते हैं कि ईवीएम ने हरा दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम संबंधी 24 अर्जियों को नकार दिया तथा निर्वाचन आयोग ने तीन दिन तक ईवीएम को हैक करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया किंतु कोई नहीं आया.

उन्होंने कहा कि हाल में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया. उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि जो द्रोह जनादेश के साथ किया गया, उसका दंड महाराष्ट्र की जनता ने दिया. शाह ने कहा, “उसी दिन वो (कांग्रेस) झारखंड में जीते. महाराष्ट्र में ईवीएम खराब है और झारखंड में टप्प से जाकर, नये कपड़े पहन कर शपथ ले ली. अरे भाई जरा तो शर्म करो, जनता देख रही है.”

उन्होंने देश में आपातकाल लगाये जाने और चुनी हुई सरकार को अनुच्छेद 356 लगाकर गिराने को लेकर कांग्रेस की आलोचना की. गृह मंत्री ने कांग्रेस को आरक्षण विरोधी करार देते हुए कहा कि उसने कभी पिछड़े वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि संविधान ने देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया है और देश में सत्ता का हस्तांतरण खून की एक बूंद बहाये बिना किया गया.

शाह ने कांग्रेस तथा विपक्षी दलों को धर्म के नाम पर आरक्षण देने का प्रयास करने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा कि जब तक संसद में भाजपा का एक भी सांसद है तो “हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं करने देंगे.” संविधान संशोधन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नेहरू सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तो बनाया किंतु अपराध के मामले में शरिया के नियमों को लागू नहीं किया. उन्होंने कहा कि देश में तुष्टीकरण की शुरुआत तो उसी दिन से हो गयी थी, जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना था.

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