यूएई में क्‍यों हुई बेमौसम भयंकर बारिश? क्‍लाउड सीडिंग या है कोई दूसरी वजह, टूटा 75 साल का रिकॉर्ड


यूएई और आसपास के रेगिस्‍तानी इलाकों में 16 अप्रैल यानी मंगलवार को भयंकर बारिश हुई. एक दिन में हुई बारिश ने पिछले 75 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. चूंकि इतनी बारिश के बाद बनने वाले हालात से निपटने के लिए यूएई की कोई तैयारी नहीं थी. इसलिए दुनिया के सबसे स्‍मार्ट शहरों में शामिल दुबई में भी हर जगह सिर्फ पानी ही नजर आ रहा था. हालात इतने खराब हो गए कि दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ही बंद करना पड़ गया. शॉपिंग मॉल और मेट्रो स्‍टेशंस में पानी भर गया. सड़कों पर वाहन पानी में फंस गए. इतनी बारिश के लिए क्‍लाउड सीडिंग में गड़बड़ी को जिम्‍मेदार बताया जा रहा है. लेकिन, क्‍या वाकई इतनी भयंकर बारिश के लिए यही इकलौती वजह है?

गल्‍फ स्‍टेट नेशनल सेंटर ऑफ मंट्रोलॉजी के मुताबिक, 15 और 16 अप्रैल को अलएन एयरपोर्ट से क्‍लाउड सीडिंग के लिए विमानों ने उड़ान भरी थी. क्‍लाउड सीडिंग एयरप्‍लेंस ने दो दिन में कुल 7 बार उड़ान भरी. सेंटर का कहना है कि शायद क्‍लाउड सीडिंग में कुछ गड़बड़ी का नतीजा दुबई को झेलना पड़ रहा है. हालांकि, सवाल ये उठता है कि अगर यूएई में भीषण बारिश के लिए क्‍लाउड सीडिंग में गड़बड़ी जिम्‍मेदार है तो आसपास के देशों में भी ज्‍यादा बारिश क्‍यों हो रही है? बता दें कि खाड़ी के अरब देशों में नाममात्र की बारिश होती है. ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यूएई में मूसलाधार बारिश हो रही है.

क्‍लाउड सीडिंग के साथ धूल बनी वजह
मंगलवार से जारी बारिश के कारण कुछ इलाकों में बाढ़ भी आ गई. सोमवार देर रात शारजाह और अल एन में बिजली की गड़गड़ाहट के साथ बारिश हुई. कई जगह पर जमकर ओले भी गिरे. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, दुबई और आसपास के देशों में धीमी रफ्तार के साथ सदर्न जेट स्‍ट्रीम चल रही है. ये वायुमंडलीय हवा अपने साथ गर्मी लेकर आती है. दुबई और आसपास समंदर होने के कारण धूल के तूफान आते हैं. बता दें कि धूल भी क्‍लाउड सीडर का काम करते हैं. विज्ञान इसे कंडेनसेशन न्‍यूक्लियाई कहता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, धूल के तूफान के कारण ही क्‍लाउड सीडिंग में गड़बड़ी हुई.

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माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यूएई में मूसलाधार बारिश हो रही है. (Photo-X)

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क्‍लाउड सीडिंग की जरूरत क्‍यों है
दुबई में पानी की कमी रहती है. इस कमी को पूरा करने के लिए दुबई में अलग-अलग तरह के प्रयास किए जाते हैं. इसी कड़ी में कुछ साल पहले अंटार्कटिका से ग्‍लेशियर का बड़ा टुकड़ा समंदर के रास्‍ते दुबई लाने की कोशिश की गई थी. इस परियोजना पर बड़ा खर्चा भी किया गया था. वहीं, दुबई में जमीन से पानी निकालकर सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाता है. तमाम कोशिशों के बाद भी दुबई में पानी की कमी बनी रहती है. इसी समस्‍या से निपटने के लिए दुबई की सरकार ने क्‍लाउड सीडिंग के जरिये आर्टिफिशियल बारिश की योजना बनाई थी. इसी में गड़बड़ी हो गई. रही बची कसर वायुमंडल में धूल के कणों ने पूरी कर दी और इतनी बारिश हो गई कि हालात खराब हो गए.

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ज्‍यादा बारिश से क्‍यों डरते हैं लोग
यूएई में ज्‍यादा बारिश से लोगों को डर लगता है. दरअसल, रेगिस्‍तानी इलाका होने के कारण ज्‍यादा बारिश होने पर जमीन धंसने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा फ्लश फ्लड से भी नुकसान का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं, दुबई में ज्‍यादा बारिश नहीं होती है. लिहाजा, बारिश के पानी की निकासी की बेहतर व्‍यवस्‍थाएं भी नहीं हैं. ऐसे में थोड़ी ज्‍यादा बारिश भी आम जनजीवन को अस्‍त-व्‍यस्‍त करने के काफी होती है. मंगलवार से जारी बारिश के बाद बने बाढ़ जैसे हालात ने इस बात की पुष्टि कर दी है. बता दें कि आर्टिफिशियल रेन के लिए वैज्ञानिक सिल्‍वर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक को बादलों में छोड़ते हैं. इसी को क्‍लाउड सीडिंग कहा जाता है.

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1949 में डाटा जुटाए जाने के बाद से दुबई में मंगलवार को सबसे ज्‍यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है. (फोटो- X/Video Grab)

प्रकृति से छेड़छाड़ भी है जिम्‍मेदार
यूएई की सरकारी न्यूज एजेंसी डब्‍ल्‍यूएएम के मुताबिक, 1949 में डाटा जुटाए जाने के बाद से दुबई में मंगलवार को सबसे ज्‍यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है. विशेषज्ञ प्रकृति से छेड़छाड़ को इसकी वजह बता रहे हैं. यूएई ने 2002 में क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन शुरू किया था. इसका इस्‍तेमाल तब किया जाता है, जब बादलों में अतिरिक्त बारिश की उम्‍मीद सबसे ज्‍यादा होती है. क्लाउड सीडिंग में एयरोप्‍लेंस या हेलीकॉप्टर का इस्‍तेमाल किया जाता है.

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