यूपी के इस जिले में बनाई जाती है खास अगरबत्ती, बाजारों में है एक अलग पहचान


अरविंद दुबे /सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा विशेष प्रकार से तैयार की गई अगरबत्तियों की मांग तेजी से बढ़ रही है. इस अति पिछड़े जिले में, महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए धूप और अगरबत्ती का उत्पादन शुरू किया है, जो अब बाजार में खास पहचान बना रही है. इन अगरबत्तियों की खासियत यह है कि इनमें बांस का उपयोग नहीं किया जाता, जो हिंदू धर्म में जलाने के लिए वर्जित माना जाता है. इसके अलावा, इन अगरबत्तियों में विशेष प्रकार के केमिकल का मिश्रण किया जाता है, जिससे उनकी गुणवत्ता और मांग में वृद्धि हो रही है.

महिलाओं द्वारा बनाई गई इन बांस रहित अगरबत्तियों की लागत कम होती है और मुनाफा अधिक. यही कारण है कि यह उत्पाद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. सोनभद्र में उत्पादित अगरबत्तियों को “सोन ब्रांड” के नाम से पहचाना जाने लगा है, और यह प्रदेश भर में अपनी जगह बना रहा है.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और समूह की सफलता
सोनभद्र के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यालय के जिला प्रबंधक एम.जी. रवि ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में 16,000 से अधिक स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं, जिनसे 1,65,000 परिवार जुड़े हुए हैं. इनमें से लगभग 4,000 परिवार अगरबत्ती बनाने के काम में लगे हुए हैं. समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद न केवल उनके घरेलू उपयोग में आ रहे हैं, बल्कि बाजार में भी बेहतरीन बिक्री प्राप्त कर रहे हैं.

महिलाओं की आत्मनिर्भरता और आर्थिक लाभ
सरकार द्वारा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाओं का सीधा लाभ इन महिलाओं को मिल रहा है. समूह में काम करने वाली महिलाएं अपने उत्पादों का लाभांश सीधे अपने खातों में प्राप्त कर रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है. पूजा-पाठ और त्योहारों में अगरबत्ती की उच्च मांग के कारण इन महिलाओं के बनाए उत्पादों का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है.

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