ये कैसी डिश है भाई! लकड़ी से 3000 बार मारने के बाद होती है तैयार



famous jowar ponk 2025 01 f4d0ada17af819562e87e62b692ae7a1 ये कैसी डिश है भाई! लकड़ी से 3000 बार मारने के बाद होती है तैयार

सूरत अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. खमन, फाफड़ा, लोचो, जलेबी और उंधिया जैसे व्यंजन यहां के लोगों की पहचान हैं. लेकिन इन सभी के बीच एक खास डिश है जो सिर्फ सर्दियों में, वह भी 2-3 महीनों के लिए उपलब्ध होती है. इस डिश का नाम है ‘पोंक’. इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इसे चखने के लिए लोग देश-विदेश से सूरत आते हैं. पोंक सर्दियों के शुरू होते ही बाजार में आ जाता है. इसे बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल और खास होती है, जिसे सिर्फ प्रशिक्षित कारीगर ही तैयार कर पाते हैं.

72 साल की परंपरा
सर्दी के मौसम में पोंक खाने का मजा अद्भुत होता है. सूरत का अडाजण इलाका, जिसे ‘पोंकनगरी’ के नाम से जाना जाता है, इसकी परंपरा को 72 सालों से सहेज रहा है. यहां आपको तरह-तरह के पोंक व्यंजन मिलते हैं. खास बात यह है कि यहां आप लाइव देख सकते हैं कि बाजरे से पोंक कैसे तैयार होता है. पोंक बनाने वाले ये कारीगर मुख्य रूप से गुजरात और महाराष्ट्र के सीमावर्ती गांवों से आते हैं.

पोंक बनाने की जटिल प्रक्रिया
पोंक बनाने की प्रक्रिया बहुत मेहनत और धैर्य मांगती है. आदिवासी कारीगर बाजरे की फली से बीज निकालने के लिए लगभग 3000 बार डंडे से प्रहार करते हैं. यह काम शारीरिक और मानसिक रूप से थकाने वाला होता है, लेकिन कारीगर संगीत की धुन पर काम करते हुए इसे आसान बना देते हैं. बाजरे के डंठल को पहले भट्टी में गर्म किया जाता है, फिर एक बड़े कपड़े की थैली में रखकर डंडे से पीटा जाता है. इसके बाद बीजों को गूदे से अलग कर तैयार किया जाता है.

दशकों पुरानी परंपरा और बढ़ती कीमतें
पोंकनगरी के स्टॉल मालिक भूमिक पटेल ने बताया कि यह परंपरा 72 साल पुरानी है. हालांकि इस साल बारिश देर से होने के कारण सर्दियां भी देरी से शुरू हुईं. इसकी वजह से पोंक की कीमत में 100 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है. कारीगर जब्बार सिंह, जो पिछले 30 सालों से सूरत आ रहे हैं, बताते हैं कि पोंक तैयार करने का काम उनके लिए आय का बड़ा स्रोत है. यह कारीगर पोंक को भूनने के बाद डंडे से पीटकर खाने योग्य बनाते हैं.

पोंक का अनोखा स्वाद और मेहनत का फल
पोंक की खासियत इसका ताजा और मुलायम स्वाद है. इसे तैयार करने में जो मेहनत लगती है, वह हर निवाले में महसूस होती है. इस खास व्यंजन का आनंद लेने के लिए सूरत आकर इसे जरूर चखें.

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