ये हैं देश की पहली महिला आईएएस और आईपीएस, जानें क्यों खास है उनके लिए आज का दिन



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नई दिल्ली. वैसे तो हर दिन किसी ना किसी मामले में खास होता है लेकिन आज का दिन महिलाओं के लिए बेहद खास है. दरअसल, देश के इतिहास में 17 जुलाई का दिन महिलाओं के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही वह दिन है जब 1948 में महिलाओं को भी प्रशासनिक सेवा (IAS) और पुलिस सेवा (IPS) सहित तमाम सार्वजनिक सेवाओं के लिए होने वाली परीक्षाओं में भाग लेने की पात्रता मिली थी. इससे पहले तक इन सेवाओं पर सिर्फ पुरुषों का अधिकार था.

देश में नया कानून लागू होने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला अन्ना राजम मल्होत्रा बनीं. महाराष्ट्र की अन्ना राजम मल्होत्रा 1951 बैच की आईएएस अधिकारी थीं. अन्ना का जन्म एर्नाकुलम में हुआ था. वहीं किरण बेदी भारत की पहली आईपीएस अधिकारी 1972 में बनीं. उनसे पहले पुलिस प्रशासनिक सेवा में किसी महिला की सहभागिता नहीं थी. किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 में अमृतसर में हुआ था. बाद में किरण बेदी उपराज्यपाल बनीं.

बता दें कि देश को 15 अगस्त 1947 की आधी रात को आजादी मिली. इसके बाद से ही सार्वजनिक सेवाओं की परीक्षा में महिलाओं को शामिल करने की आवाज उठने लगी. इसके बाद साल 1948 में 17 जुलाई के दिन यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया. इस फैसले के कारण ही आज महिलाएं भी देश की प्रगति में पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं.

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प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़
बता दें कि भारतीय सिविल सेवा, भारत सरकार की ओर से नागरिक सेवा तथा स्थायी नौकरशाही है. सिविल सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ है. भारत के संसदीय लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों (मंत्रीगण) के साथ वे प्रशासन को चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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