योगी आद‍ित्‍यनाथ सिर्फ एक धर्म के CM नहीं हैं, ज्ञानवापी को साक्षात ‘विश्वनाथ’ बताने पर मुस्लिम जमात का कड़ा रुख


बरेली. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी को आज लोग मस्जिद कहते हैं, लेकिन ज्ञानवापी साक्षात ‘विश्वनाथ’ ही हैं. मुख्यमंत्री के इस बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “ज्ञानवापी मस्जिद कई सदियों पुराना इतिहास वाली एक ऐतिहासिक मस्जिद है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान कि इसे विश्वनाथ मंदिर कहना उनके पद के अनुरूप नहीं है क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रदेश के सभी धर्मों के लोगों ने वोट दिया है.”

मौलाना ने कहा, “योगी आद‍ित्‍यनाथ सिर्फ एक धर्म के मुख्यमंत्री नहीं हैं. उनके बयान को देश के मुसलमान पसंद नहीं करेंगे. ज्ञानवापी को लेकर विवाद चल रहा है. कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस बारे में कोई फैसला नहीं आया है. सीएम का यह बयान कानून का उल्लंघन करता है.” बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को गोरखपुर में थे. यहां उन्होंने ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, “दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं, वह ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी ही हैं.”

मुख्यमंत्री ने कहा, “ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप ही है. भारतीय ऋषियों-संतों की परंपरा सदैव जोड़ने वाली रही है. इस संत-ऋषि परंपरा ने प्राचीन काल से ही समतामूलक और समरस समाज को महत्व दिया है. हमारे संत-ऋषि इस बात ओर जोर देते हैं भौतिक अस्पृश्यता साधना के साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए बाधक है.” मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पृश्यता को दूर करने पर ध्यान दिया गया होता,तो देश कभी गुलाम नहीं होता.

उन्होंने कहा, “संत परंपरा ने समाज में छुआछूत और अस्पृश्यता को कभी महत्व नहीं दिया. यही नाथपंथ की भी परंपरा है. नाथपंथ ने हरे जाति, मत, मजहब, क्षेत्र को सम्मान दिया. सबको जोड़ने का प्रयास किया. नाथपंथ ने काया की शुद्धि के माध्यम से एक तरफ आध्यात्मिक उन्नयन पर जोर दिया, तो दूसरी तरफ समाज के हर तबके को जोड़ने के प्रयास किए.”

ज्ञानवापी का मुद्दा लंबे समय से कानूनी जांच के केंद्र में रहा है, जिसमें हिंदू पक्ष का तर्क है कि ज्ञानवापी मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी ने एक तरह का विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें विपक्षी समाजवादी पार्टी(सपा) ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अयोध्या के कुछ संतों ने उनका समर्थन किया है.

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