योग स्पंदन से तनाव प्रबंधन

तनाव -आज की अति गहन समस्या , सायद ही इससे कोई अछूता हो । आज के प्रतिस्पर्धा भरे जीवन में लोग आर्थिक संपन्नता ,भौतिकता व कृत्रिमता के पीछे इस कदर भाग रहे हैं कि उन्हें बिल्कुल आभास नहीं है़ कि, वह जिस सुकून, खुशी व आनन्द को पाना चाहते हैं वो उसी से ही विमुख होते जा रहे हैं वो स्वयं को भूल ही गये हैं । लोग ना ही अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं और ना ही सोच के प्रति सचेत हैं या यूँ कहें कि दिन प्रतिदिन अपने वजूद को नजरअंदाज़ कर फ़ैशन व दिखावा के पिछे भागते जा रहे हैं, परिणामतः उन्हें तनाव, चिंता, थकान, अवसाद, चिड़चिड़ापन, मोटापा, मधुमेह, थायरायड, ह्दय रोग, कैन्सर इत्यादि भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है । फलस्वरूप सुविधा संपन्न होने के बाबजूद भी उनके जीवन में दुख व परेशानियों के अलावा कुछ भी नहीं बचता इस तनावग्रसित लोगों की बहुतायता की वजह से इस दौर या युग को “तनाव युग या Stress Era ” के नाम से जाना जाने लगा है।
ऐसे में हमारे जीवन को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाये रखने के लिए योग स्पंदन ही एक ऐसा विकल्प है़ जो बिना व्यय व कष्ट के रामबाण साधन सिद्ध हो रहा है़ या यूँ कहे कि योगाभ्यास आपके जीवन में सावधि जमा (R.D. )के रुप में काम कर सकता है जिसका लाभ आपके बेहतरीन स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन में दिन-प्रति-दिन ब्याज के रूप में मिलता रहेगा बतौर,अगर आप नियमित रुप से योगाभ्यास करते हैं तो,तभी आप शारीरिक रूप से स्वस्थ ही नहीं अपितु , मानसिक व भावनात्मक रूप भी अति प्रभावशाली व संतुलित रह पायेगें ।
अगर यहां अति विशिष्ट विषय,तनाव जो बहुत सारी बीमारियों की जड़ है , की बात की जाए तो योग के नियमित अभ्यास से कार्टिसोल नामक हार्मोन ( तनाव हार्मोन ) कम होता है व आक्सीटोसिन हार्मोन में वृद्धि होती है हर अंग में रक्त परिसंचरण होता है जिसका सीधा सम्बन्ध हमारे शरीर के प्रत्येक अंगों से होता है जो हर अंग को हृष्ट-पुष्ट बनाये रखने में मदद करता है़ जिसके कारण हमारा मस्तिष्क तनावरहित व शरीर स्वस्थ रहता है ।
तमाम शोधो द्वारा भी यह प्रमाणित किया जा चुका है कि तनाव के लिए योग स्पंदन से बेहतर कोई और उपाय हो ही नहीं सकता है़ । आज चिकित्सकों द्वारा भी दवा को दरकिनार कर योग स्पंदन (आसन, प्राणायाम व ध्यान) विधि अपनाने की सलाह दी जा रही है़।
तनाव प्रबंधन के लिए कैसे करें योग स्पंदन …?


(कुछ नियमित करने योग्य योगाभ्यास)

*आसन

———– सूर्यनमस्कार(२-१०चक्र), सुखासन, बालासन,पश्चिमोत्तानासन,जानुशिर्षासन,मार्जरीआसन इत्यादि। (प्रारम्भ में वर्मअप जरुरी )
*प्राणायाम

———— प्रारम्भ गहरी श्वास प्रश्वास क्रिया द्वारा फिर भ्रामरी व नाड़ी शोधन (१०-२०मिनट)।
*शवासन

———— २-१०मिनट।
*ध्यान

———- १०-२०मिनट।
*सात्विक आहार

——————— बासी, तला-भूना वर्जित, हल्का व सुपाच्य, एक समय निर्धारित करें, बार-बार ना खायें, सायःकालीन ६-७ के बीच रात्रिभोजन समाप्त कर लें क्योंकि
” जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन “।

*मालिश, संगीत, आत्मचिन्तन,अध्ययन, भ्रमण, खुलके हंसना, दोस्तों से मिलना ,आपके तनाव को कम करने में बहुत बेहतरीन भूमिका निभा सकता है क्योंकि योग का अर्थ ही है स्वयं से जुड़ना इसलिए ये सारी क्रियाएं स्वयं से जुड़ने मे बेहद सहायक हैं इसमें कोई संदेह नहीं।
अत: हम कह सकते हैं कि योग स्पंदन द्वारा जीवन से तनाव को छूमंतर किया जा सकता है व जीवन को एक सही विस्तार मिल सकता है क्योंकि ” स्वस्थ शरीर ही सफलता की कुंजी है “।

इसलिए प्रमाणित हुआ –

“योग स्पंदन से पूर्णरूपेण तनाव प्रबंधन “


विजय लक्ष्मी राय ( योग विशेषज्ञ)

Master’s in Applied Yoga and Health

UGC-net qualified

Gold medalists 🙏

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