रिटायरमेंट के बाद शुरू की यह खेती, बदल गई किस्मत! आज घर बैठै कमा रहे 5-6 लाख का मुनाफा


मुकेश पांडेय/मिर्जापुर: कहते हैं कि जहां पर चाह होती है, वहां पर राह होती है. दूरदर्शन में सीनियर इंजीनियर के पद से रिटायर होने के बाद रामजी दूबे ने अपने गांव लौटकर नई तकनीक से खेती शुरू की. आज ड्रैगन फ्रूट सहित अन्य फसलों की खेती करके वह लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. रामजी दूबे अपनी नवाचारी खेती से न केवल अपने लिए बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हैं. मिर्जापुर जिले के नुआंव गांव में रहने वाले रामजी दूबे बचपन से खेती में रुचि रखते थे. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने पाली हाउस तैयार कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की.

किसान रामजी दूबे ने बताया कि वह पिछले छह साल से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. जब मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट का नाम किसी ने नहीं सुना था, तब से उन्होंने इसकी खेती शुरू की. एक हेक्टेयर (लगभग 2.5 एकड़) में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. रामजी दूबे बताते हैं कि प्रति एकड़ प्रति वर्ष पांच से छह लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है. हालांकि इस साल गर्मी अधिक होने से कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन खेती से अभी भी अच्छी आय हो रही है.

प्रति एकड़ में होता है 50 कुंतल का उत्पादन

रामजी दूबे ने कहा कि प्रति एकड़ 50 से 60 कुंतल ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन होता है. इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है और इसे बेचने में कोई कठिनाई नहीं होती. व्यापारी और ग्राहक अक्सर खेत से ही इसे खरीद लेते हैं. वर्तमान में इसका बाजार मूल्य 150 से 200 रुपये प्रति किलो है. ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने के लिए शुरू में एक बार निवेश करना होता है, जिसके बाद यह पौधा अगले 20 वर्षों तक फल देता रहेगा.

ड्रैगन फ्रूट 10 सुपर फलों में एक

रामजी दूबे बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट को 10 सुपर फलों में एक माना जाता है. यह फल डाइबिटीज, किडनी, बीपी, शुगर जैसी बीमारियों के लिए लाभकारी है और हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने के साथ ही डेंगू में प्लेटलेट्स बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है. इसकी स्वास्थ्य लाभकारी विशेषताओं के कारण बाजार में इसकी मांग बनी रहती है और यह आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता.

जिला उद्यान अधिकारी ने की पहल
रिटायरमेंट के बाद नवाचारी खेती की ओर प्रेरित करने के लिए जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने रामजी दूबे की मदद की. उन्होंने विदेशों से ड्रैगन फ्रूट के पौधे मंगवाने में सहायता की. आज रामजी दूबे एक लाख से अधिक पौधे बेच चुके हैं. उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, बिहार, और झारखंड जैसे राज्यों में भी इन पौधों की मांग तेजी से बढ़ रही है.

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