रोजाना 37 लाख का माल बेचती है ये दुकान, 10 मिनट में 45,000 का, महीने-महीने का राशन एकसाथ उठाते हैं लोग
कंपनी के पास कुल 381 स्टोर हैं, जो हर दिन 14 घंटे तक खुले रहते हैं. डीमार्ट की स्थापना 2002 में राधाकिशन दमानी ने की थी. यहां ग्राहकों को किफायती दामों पर घरेलू सामान और ग्रॉसरी मिलती है.
DMart Story : 2002 में केवल एक स्टोर से शुरू होकर डीमार्ट के पास अब 381 स्टोर हैं. आप महाराष्ट्र के किसी हिस्से में रहते हों, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, या कर्नाटक में, आपको हर स्टेट के हर हिस्से में डीमार्ट के स्टोर मिल ही जाएंगे. मात्र 22 सालों में कंपनी ने जबरदस्त विस्तार किया है. अपनी खास बिजनेस रणनीति से डीमार्ट भारत की प्रमुख रिटेल कंपनी बन गई है. परंतु क्या आप जानते हैं यह कंपनी हर दिन कितनी सेल करती है? हर घंटे कितनी बिक्री होती है? हालांकि कंपनी की तरफ से कभी भी इस तरह का सटीक डेटा नहीं दिया जाता, मगर इसे सालाना प्रॉफिट और सेल के हिसाब से कैलकुलेट किया जा सकता है. तो चलिए एक छोटी सी कैलकुलेशन कर ही लेते हैं.
वित्तीय वर्ष 2024 में कंपनी ने 49,722 करोड़ रुपये की कुल रेवेन्यू हासिल किया था. कंपनी के पास कुल 381 स्टोर हैं, जो हर दिन 14 घंटे तक खुले रहते हैं. प्रत्येक स्टोर प्रतिदिन औसतन 37 लाख रुपये की बिक्री करता है. इसका मतलब है कि हर घंटे लगभग 2.7 लाख रुपये की सेल हो जाती है. इसी आधार पर हर 10 मिनट में 44,262 रुपये की बिक्री होती है. अब तो कंपनी का ऑनलाइन स्टोर भी उपलब्ध है. मतलब यदि आपके आसपास स्टोर नहीं है तो वेबसाइट या ऐप के जरिये भी शॉपिंग की जा सकती है.
डीमार्ट का इतिहास
डीमार्ट की स्थापना 2002 में राधाकिशन दमानी ने की थी. दमानी शेयर बाजार के भी एक अनुभवी निवेशक भी हैं उन्होंने भारत के रिटेल बाजार में अवसरों को देखते हुए डीमार्ट की शुरुआत की. उनकी सोच थी कि वे भारतीय ग्राहकों को किफायती दामों पर घरेलू सामान, ग्रॉसरी और रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं उपलब्ध कराएं. उनके इस विचार ने ग्राहकों में भारी लोकप्रियता पाई और डीमार्ट धीरे-धीरे भारत के सबसे भरोसेमंद रिटेल चेन में से एक बन गया. दमानी का उद्देश्य था कि वे भारतीय उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप स्टोर्स स्थापित करें और उन्हें बजट फ्रेंडली प्रोडक्ट्स प्रदान करें.
डीमार्ट का बिजनेस मॉडल
डीमार्ट का बिजनेस मॉडल “एवरीडे लो प्राइस” (ELP) सिद्धांत पर आधारित है. इस मॉडल के अंतर्गत कंपनी उत्पादों की लागत को न्यूनतम रखने और अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने पर ध्यान देती है. कंपनी अधिकांशतः उन्हीं उत्पादों की खरीद करती है जो सीधा मैन्युफैक्चरर्स से प्राप्त किए जा सकते हैं, जिससे लागत में कमी आती है और ग्राहकों को किफायती दामों पर चीजें मिलती हैं. कंपनी के स्टोर्स आमतौर पर बड़े शहरों और कस्बों के बाहरी इलाकों में स्थित होते हैं, जिससे किराए में बचत होती है. इसके अलावा, डीमार्ट अपने स्टोर चलाने में अनावश्यक खर्चों को सीमित रखता है और मार्केटिंग खर्च में कटौती करता है, जिससे उसे ग्राहकों को हमेशा प्रतिस्पर्धी दामों पर उत्पाद प्रदान करने में मदद मिलती है.
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इसके स्टोर आबादी से बाहर होने के चलते लोग एक ही बार में पूरे महीने या 15 दिन की शॉपिंग कर लेते हैं, ताकि बार-बार आना-जाना न पड़े. चूंकि डीमार्ट में सामान अन्य रिटेल दुकानों से सस्ता मिलता है तो इसका फायदा भी कंपनी को ज्यादा फुटफॉल के रूप में मिलता है.
डीमार्ट का रेवेन्यू और ग्रोथ
डीमार्ट, जिसकी मुख्य कंपनी का नाम एवेन्यू सुपरमार्ट लिमिटेड है, का कुल राजस्व प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है, और उसकी वृद्धि दर भी उच्च स्तर पर बनी हुई है. वित्तीय वर्ष 2024 में डीमार्ट का राजस्व 49,722 करोड़ रुपये था और इसने हाल ही में अपने EBITDA में 22% की सालाना वृद्धि भी दर्ज की है. कंपनी का नेट प्रॉफिट भी उल्लेखनीय वृद्धि के साथ 6,400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है. इस सफलता का मुख्य कारण कंपनी का कॉस्ट-इफेक्टिव मॉडल है, जो इसे प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिलाता है.
डीमार्ट के इस प्रदर्शन का एक अन्य कारण यह है कि कंपनी ने हाल के वर्षों में 24 नए स्टोर्स का विस्तार किया है. यह दर्शाता है कि डीमार्ट भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी पहुंच को लगातार बढ़ा रही है. इसके अलावा, कंपनी की प्रति स्टोर बिक्री दर भी शानदार है.
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FIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 14:50 IST