वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान इस चीज के लिए कंडोम का इस्तेमाल करते थे सैनिक, जानकर रह जाएंगे हैरान



<p class="p1" style="text-align: justify;">द्वितीय विश्वयुद्ध इतिहास के सबसे काले पन्नों में से एक है<span class="s1">. </span>इस युद्ध में हथियारों और युद्धकौशल के साथ<span class="s1">-</span>साथ कई ऐसी चीजों का भी इस्तेमाल हुआ<span class="s1">, </span>जिनके बारे में शायद ही कभी सुना गया होगा<span class="s1">. </span>उनमें से एक है कंडोम<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">जी हां<span class="s1">, </span>आपने सही पढ़ा<span class="s1">. </span>द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैनिकों ने कंडोम को एक अनोखे तरीके से इस्तेमाल किया<span class="s1">. </span>वो इसे यौन सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि अपनी राइफल्स की रक्षा के लिए इस्तेमाल करते थे<span class="s1">.</span></p>
<p class="p2" style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="बीमार पड़ने पर बच्चों को गर्म सलाखों से दागते हैं लोग, भारत में इस जगह है ये खतरनाक प्रथा" href="https://www.abplive.com/gk/people-burn-children-with-hot-rods-when-they-fall-ill-this-dangerous-practice-is-prevalent-in-this-place-in-india-2823989" target="_self">बीमार पड़ने पर बच्चों को गर्म सलाखों से दागते हैं लोग, भारत में इस जगह है ये खतरनाक प्रथा</a></strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>सैनिक क्यों इस्तेमाल करते थे कंडोम<span class="s1">?</span></strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सैनिकों को अक्सर जंगलों और दलदली इलाकों में लड़ाई लड़नी पड़ती थी. इन इलाकों में बारिश और कीचड़ की भरमार होती थी. ऐसे में सैनिकों की राइफलें जंग लगने और खराब होने का खतरा बना रहता था. राइफलों को जंग लगने से बचाने के लिए सैनिक कंडोम का इस्तेमाल करते थे.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">दरअसल कंडोम रबर से बने होते हैं और इनमें पानी रोकने की क्षमता होती है<span class="s1">. </span>सैनिक अपनी राइफल की बैरल पर कंडोम चढ़ा देते थे जिससे राइफल पानी और कीचड़ से सुरक्षित रहती थी<span class="s1">. </span>इसके अलावा कंडोम राइफल को धूल<span class="s1">-</span>मिट्टी और अन्य कणों से भी बचाते थे<span class="s1">. </span>इससे राइफल की कार्यक्षमता में कोई बाधा नहीं आती थी<span class="s1">. </span>इसके अलावा कंडोम हल्के होते हैं और इसके अलावा ये आसानी से उपलब्ध होते थे<span class="s1">. </span>साथ ही सैनिक इन्हें आसानी से अपनी किट में रख सकते थे<span class="s1">.</span></p>
<p class="p3" style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="हमेशा सर्दियों में ही क्यों होता है पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा खतरा? हवा में होता है ये बदलाव" href="https://www.abplive.com/gk/why-is-there-always-the-greatest-risk-of-pollution-in-winter-this-change-happens-in-the-air-2824055" target="_self">हमेशा सर्दियों में ही क्यों होता है पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा खतरा? हवा में होता है ये बदलाव</a></strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>कंडोम का इस्तेमाल करने से सैनिकों को ये होता था फायदा</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">कंडोम के इस्तेमाल से राइफलें लंबे समय तक चलती थीं और बार<span class="s1">-</span>बार बदलने की जरूरत नहीं पड़ती थी<span class="s1">. </span>साथ ही एक अच्छी तरह से रखरखाव वाली राइफल युद्ध में सैनिकों के लिए बहुत उपयोगी होती थी<span class="s1">. </span>साथ ही एक अच्छी तरह से रखरखाव वाली राइफल युद्ध में सैनिकों के लिए बहुत उपयोगी होती थी<span class="s1">. </span>साथ ही कंडोम का इस्तेमाल करने से सेना को राइफलों की मरम्मत पर होने वाले खर्च को कम करने में मदद मिलती थी<span class="s1">. </span>द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद राइफलों को जंग से बचाने के लिए कई तरह के नए उपकरण विकसित किए गए. लेकिन आज भी कई लोग कंडोम को एक अनोखे और सरल तरीके के रूप में देखते हैं जिससे राइफलों को जंग से बचाया जा सकता है.</p>
<p class="p3" style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="एक पेड़ काटने से कितने टिश्यू पेपर बनाए जा सकते हैं? जान लीजिए जवाब" href="https://www.abplive.com/photo-gallery/gk/how-much-tissue-paper-can-be-made-from-cutting-one-tree-2824057" target="_self">एक पेड़ काटने से कितने टिश्यू पेपर बनाए जा सकते हैं? जान लीजिए जवाब</a></strong></p>



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