विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव में मामूली तेजी से बीते सप्ताह तेल-तिलहन की कीमतों में हुई वृद्धि
आयातित सोयाबीन और सूरजमुखी के दाम में मामूली वृद्धि के साथ मलेशिया में खाद्य तेलों के दाम सुधरने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह ज्यादातर तेल-तिलहनों के दाम पिछले सप्ताहांत के मुकाबले लाभ के साथ बंद हुए. बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में सोयाबीन तेल का दाम 980-985 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,020-1,025 डॉलर प्रति टन हो गया. जबकि सूरजमुखी तेल का दाम 860 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 880 डॉलर प्रति टन हो गया.
मलेशिया में खाद्य तेलों के दाम में सुधार के कारण यहां लगभग सभी खाद्य तेल-तिलहनों की कीमतों में वृद्धि हुई।.लेकिन खाद्य तेलों के दाम में इस मामूली सुधार को तेजी समझना गलत होगा.उदाहरण के लिए सूरजमुखी तेल को देखें तो साल भर पहले इसका दाम लगभग 2,500 डॉलर प्रति टन था और अब सुधार के बाद भी मौजूदा समय में इसका भाव 880 डॉलर ही है.
सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित खाद्य तेलों की भरमार की स्थिति अब भी देशी तेल- तिलहनों पर दबाव बनाये हुए हैं और अब समय आ गया है कि आयातित सस्ते तेलों को आयात शुल्क बढ़ाकर नियंत्रित किया जाये, नहीं तो तेल उद्योग और बेहाल हो सकता है. सरसों पैदावार को बढ़ाकर अब फसल नहीं बिकने से किसान अजीब स्थिति में फंसे हैं कि आगे वे क्या करें?
सूत्रों ने कहा कि इस बात की पूरी आशंका है कि देश में इस बार देशी तिलहन खपेंगे नहीं और सोयाबीन तथा सरसों का काफी स्टॉक बचा रह जायेगा. स्टॉक बचा रहने पर किसान अगली तिलहन बुवाई कैसे करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है. मार्च, 2023 में सरसों की पेराई 11 लाख टन की हुई थी जो जून में घटकर 5.5 से 6 लाख टन तक रह सकती है. किसान और तेल मिलें परेशान हैं. तेल मिलों को पेराई करने के बाद तेल बेचना मुश्किल हो रहा है क्योंकि सस्ते आयातित तेल भारी मात्रा में बाजार में मौजूद हैं. इस वजह से सरसों तिलहन में भी गिरावट देखी गई. सरसों तेल के भाव में सुधार तो है पर लिवाली कम है.
मध्य प्रदेश के सागर के एक आढ़तिये नीतेश जैन ने बताया कि उनके क्षेत्र में जो तिलहन (सोयाबीन) की भारी पैदावार होती थी, वहां के किसान अब अपनी आय सुनिश्चित करने के लिए मोटे अनाज की बुवाई का विकल्प चुनने का मन बना रहे हैं.
सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने से हम कई उलझनों से निजात पा सकते हैं. एक तो इससे जो राजस्व सरकार को मिलेगा, उसे वह निम्न व गरीब वर्ग के लोगों को राहत के रूप में उनके बैंक खातों में डाल सकती है. दूसरा यह कि देशी तिलहनों के बाजार में खपत होने की स्थिति बनेगी और तेल मिलें चलेंगी जिससे रोजगार बढ़ेगा. अगर निविदा मंगाकर तेल प्रसंस्करण मिलों के जरिये खाद्य तेल का मौजूदा सस्ते दाम पर आयात कर इसे राशन की दुकानों पर उपलब्ध कराया जाये तो ग्राहकों को भी वैश्विक खाद्य तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ मिलना सुनिश्चित होगा.
सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 30 रुपये की गिरावट के साथ 4,740-4,840 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. समीक्षाधीन सप्ताहांत में लिवाल कम होने के बाद भी भाव ऊंचा बोलने से सरसों दादरी तेल 50 रुपये सुधरकर 9,190 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव भी 10-10 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,570-1,650 रुपये और 1,570-1,680 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ.
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में तेजी के आम रुख के अनुरूप सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का भाव क्रमश: 35-35 रुपये सुधरकर क्रमश: 5,090-5,165 रुपये और 4,865-4,940 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 150 रुपये, 150 रुपये और 300 रुपये सुधरकर क्रमश: 9,650 रुपये, 9,250 रुपये और 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए.
खाद्य तेल कीमतों में मजबूती के रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 25 रुपये, 100 रुपये और पांच रुपये बढ़कर क्रमश: 6,225-6,285 रुपये,15,600 रुपये और 2,330-2,605 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए.
मलेशिया में तेल कीमतों में सुधार आने के बाद समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 150 रुपये बढ़कर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये बढ़कर 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. दूसरी ओर, पामोलीन एक्स कांडला का भाव 50 रुपये की हानि के साथ 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. इसी तरह देशी बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 150 रुपये की गिरावट दर्शाता 8,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।