विनीत मासराम: एक दुर्लभ सिनेमाजीवी की याद में | – News in Hindi



vineeth 07 17 विनीत मासराम: एक दुर्लभ सिनेमाजीवी की याद में | - News in Hindi

वैसे तो इस हफ्ते तमाम ऐसे टॉपिक हैं जिन पर लिखा जा सकता था पर अचानक एक घटना ऐसी हुई जिसने मुझे, सिरे से झनझोड़ दिया. मुझे एक 34 वर्षीय युवक की मौत ‘हिट’ कर गई. एक तो 34 कोई उम्र नहीं है कि हार्ट अटैक हो जाए और चूंकि मुझे लगता है इस युवक के बारे में बात होनी चाहिए, लोगों को उसे जानना चाहिए, उसकी इस बेहद छोटी परंतु बेहद खास जिंदगी को सेलिब्रेट करना चाहिए, इसलिए आज का ये ब्लॉग समर्पित है उसी युवा के नाम. युवा का नाम है विनीत मासराम. और उसका काम है फि‍ल्म समीक्षा.

सिनेमा बियोंड एंटरटेनमेंट

कोविड की दूसरी लहर के दौरान मुझे विनीत मासराम के चैनल के बारे में मालूम चला. उन दिनों हम घर में बंद, बस फि‍ल्में ही देखा करते थे. एक दिन गॉडफादर के ऊपर चर्चा के दौरान मेरे 18 वर्षीय बेटे ने विनीत मासराम का ज़िक्र किया. बोला मां आपको ‘सिनेमा बियोंड एंटरटेनमेंट’ का गॉडफादर पर बना वीडियो देखना चाहिए. कुछ दिन तो टलता रहा परंतु फिर एक दिन जब मैंने विनीत मासराम का ये वीडियो देखा, मैं दंग रह गई. फिर दो तीन और वीडियो देखे. इन्हें देख मुझे लगा कि, यूट्यूब पर या उस से बाहर भी, इतना कट टू कट, मक्खन की तरह एडिटिंग वाला, बेहतरीन फिल्मी कंटेंट वाला, विश्लेषण वाला, तुलनात्मक अध्धयन वाला, कहीं भी कुछ और नहीं है. और फिर, मैं अपने को रोक नहीं पाई. सिनेमा बियोंड एंटरटेनमेंट चैनल के एक एक कर के सारे वीडियो देख डाले.

‘रंग दे बसंती’, ‘स्वदेस’, ‘रॉकस्टार’, ‘दिल चाहता है’, ‘ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा’, ‘सैराट’, ‘डॉक्टर कोटनिस की अमर कहानी’ इत्यादि. पहले तो एक चौंतीस वर्षीय युवा को वी. शांतराम की इस फिल्म के बारे में पता है, ये जानकारी ही मेरे लिए चौंकाने वाली थी. फिल्म ‘स्वदेस’ के मोहन के चरित्र को समझाते विनीत, ‘रॉबर्ट ग्रीनलीफ़’ की ‘द सर्वेंट ऐज़ लीडर’ का जि‍क्र करते हैं. दुनिया में कितने प्रकार के लीडर होते हैं, उनका क्या दर्शन होता है, समझाते हैं. और फिर उन लक्षणों के नजरिए से स्वदेस के मोहन को परखते हैं. ‘रॉकस्टार’ के वीडियो में विनीत ‘mise en scene’ यानी मीजों सीन के नजरिए फिल्म के फ़्रेम्स का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं. ‘सैराट’ का हिंदी रीमेक बनाने वाले अगर विनीत का सैराट वाला विश्लेषणात्मक वीडियो, फिल्म बनाने से पहले देख लेते तो शायद ‘सैराट’ की आत्मा को हिंदी दर्शकों तक पहुंचाने में सफल हो जाते. ‘रंग दे बसंती’ वाले वीडियो में कैमरा वर्क और फ़्रेम्स को समझाने के साथ साथ विनीत ने विश्लेषण किया है कि कैसे समाज फिल्मों को प्रेरित करता है और कैसे फि‍ल्में समाज को प्रेरित करती हैं.

कुछ फि‍ल्मों के विश्लेषण के अलावा इस चैनल पर सिनेमाप्रेमियों के लिए कुछ और देखने लायक वीडियो हैं. ‘व्हाई डू वी वॉच मूवीज’, ‘रामायण इन बॉलीवुड’, ‘एनाटॉमी ऑफ़ ए ग्रेट एक्टर’, ‘व्हाट इस रांग विथ बॉलीवुड डांस सांग्स’ इत्यादि. इन वीडियो के माध्यम से विनीत ने बॉलीवुड के अच्छे, बुरे और विभत्स को हमेशा बड़ी साफगोई से उजागर किया है. सबसे बड़ी बात ये है कि कोई भी बड़ी फिल्मी हस्ती उनकी इस साफ़गोई से की हुई समीक्षा से कभी आहत नहीं हुई. सब जानते थे कि जब विनीत कहते हैं तो सिनेमा की आर्ट के सच्चे आशिक की तरह कहते हैं. फिल्मों में अक्सर विनीत उन्हीं लोगों के साथ काम करते थे जिनके बारे में अपने वीडियो में क्रिटिकल होते थे.

मील का पत्थर

खैर, इतना परिपक्व कंटेंट और वो भी एक युवा से, देख मुझे एक आशा भी जगी थी कि इंस्टेंट के जमाने में और खोखली हो चुकी डिजिटल दुनिया में कोई इतना बुद्धिमान और मेहनती नवयुवक भी है जो अपने काम से एक नया मील का पत्थर स्थापित करने में लगा है. एक ऐसा युवा फ़िल्म समीक्षक जिसके दिल में सिनेमा बसता है. विडंबना देखिए, एक दिन अचानक एक डार्क फ़िल्म के डरावने सीन की तरह ही उसका वही दिल उसे धोखा दे जाता है.

जी, आर्ट ऑफ सिनेमा के सच्चे उपासक, विनीत मासराम की असामयिक मौत ने मुझे हिला दिया है. मुझे उस से बहुत उम्मीदें थीं. अफसोस इस बात का है कि खुद विनीत को अभी कितनी ही फि‍ल्में बनानी थीं. उसकी असामयिक मौत से हम उसके हुनर, उसकी वृहद् सोच से कितना वंचित रह गए हैं. विनीत, एक स्टार था, पर आज उसको जानने वाले लोग सिर्फ उसको उसके काम से ही जानते हैं. उसकी इस छोटी सी जिंदगी की उस से भी छोटी निजी जिंदगी के बारे में आज भी बस वही लोग जानते हैं, जिन्हें उसके बारे में जानना चाहिए था. विनीत के बारे में, उसके परिवार के बारे में, उसके प्यार के बारे में, पब्लिक डोमेन में आपको कुछ नहीं मिलेगा. सिर्फ मिलेगा उसका काम. वो काम जो आने वाले दूसरे कंटेंट क्रिएटर्स के लिए हमेशा एक प्रेरणास्रोत रहेगा.

विनीत का इंटरव्यू

इधर, विनीत फिल्मों में बहुत व्यस्त हो गए थे. उनके चैनल पर कोई नया वीडियो भी नहीं आ रहा था. युवा कंटेंट क्रिएटर्स की एक ऑनलाइन बातचीत में, जब उनसे बाकी के पार्टिसिपेंट्स ने जानना चाहा कि उन्होंने आखिर अपने चैनल पर नए वीडियो अपलोड करने क्यों बंद कर दिए हैं, सवाल के जवाब में विनीत ने कहा था कि ‘Right now I am working 25 hrs a day! और एक एक वीडियो को बनाने में बेहद रिसर्च और प्रेप की जरूरत होती है.’ विनीत का आखि‍री अपलोड ‘आरआरआर’ पर था और कुछ समय पहले ही उन्होंने अपने चाहने वालों को चैनल को पुनर्जीवित करने का भरोसा भी दिया था.

आज मुझे लगता है शायद विनीत को 25 घंटे काम नहीं करना चाहिए था. काम के प्रति लगन मेहनत आशिकी, सब जरूरी है, पर सांस लेना और ब्रेक लेना उस से भी कहीं ज़्यादा जरूरी है. क्या है ना, बावरा मन एक मां का मन भी है, इसलिए ये नयी पीढ़ी को बर्न आउट ना होने की सलाह देता है और विनीत मासराम के पैरेंट्स के लिए एक जादू की झप्पी देता है. विनीत खुद एक जादू था. उस सा बेटा किसी भी मां बाप के लिए एक अभिमान के बराबर होता है.

धन्यवाद



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