विमान रखरखाव, मरम्मत और संरक्षण राजस्व अगले वित्त वर्ष में 50% बढ़ने की उम्मीद : CRISIL
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मुंबई:
विमानन कंपनियों के अपने बेड़े का आकार बढ़ाने से पैदा हुई मांग के बीच भारतीय विमान रखरखाव, मरम्मत एवं संरक्षण (एमआरओ) उद्योग को अगले वित्त वर्ष में राजस्व 50 प्रतिशत बढ़कर 4,500 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को तीन एमआरओ परिचालकों पर आधारित अध्ययन में यह बात कही. इन तीन एमआरओ परिचालकों की उद्योग के राजस्व में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
भारतीय एमआरओ कंपनियां आमतौर पर तीन प्रकार की सेवाएं देती हैं. इनमें‘लाइन चेक’ (प्रत्येक उड़ान से पहले की जाने वाली), ‘एयर फ्रेम चेक’ (प्रत्येक 12-18 महीने में) और ‘पुनर्वितरण जांच’ (छह से सात वर्ष की पट्टे की अवधि खत्म होने के समय) सेवा शामिल हैं.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अगले वर्ष तक घरेलू परिचालकों के हवाई बेड़े में 20-25 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, और इसमें नए विमानों के शामिल होने तथा खड़े विमानों (इंजन संबंधी समस्याओं के बाद) का परिचालन दोबारा शुरू होने से मदद मिलेगी.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक शौनक चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘लाइन और एयरफ्रेम जांच विमान बेड़े के आकार के साथ दृढ़ता से जुड़ी हैं, अगले वित्त वर्ष में पुनर्वितरण जांच कई गुना (वित्त वर्ष 2023-24 के स्तर से 10 गुना तक) बढ़ने की संभावना है. यह सभी विमान घटकों पर जीएसटी ‘इनपुट टैक्स’ को घटाकर पांच प्रतिशत करने से प्रेरित होगा.”
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