वृद्धाश्रम के बुजुर्ग मानिकचंद का गाना कर देगा इमोशनल, स्वार्थी बेटे न सुनें


महाराजगंज: एक व्यक्ति अपने परिवार खासकर अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पूरी जिंदगी संघर्ष करता रहता है. वह दिन-रात कड़ी मेहनत करता है ताकि उसका परिवार सुरक्षित और सुखी रहे. लेकिन, जब वही बच्चे बुढ़ापे में सहारा बनने के बजाय उसे अकेला छोड़ देते हैं, तो व्यक्ति पूरी तरह टूट जाता है और जीवन नीरस लगने लगता है. हमारे समाज में कई लोग ऐसे होते हैं, जो अपने परिवार के भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. लेकिन, आधुनिकता के इस दौर में भी कुछ बच्चे अपने माता-पिता को बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ देते हैं.

महाराजगंज जिले के आधारशिला वृद्ध आश्रम में ऐसे ही एक व्यक्ति मानिकचंद रहते हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी में कई कठिनाइयों का सामना किया. लेकिन, आज वह वृद्ध आश्रम में अपने जीवन के अंतिम समय बिता रहे हैं. मानिकचंद मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के रहने वाले हैं. परिवार की आपसी कलह के कारण उन्हें घर से निकाल दिया गया. जब लोकल 18 की टीम उनसे बातचीत करने पहुंची, तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. आश्रम के संचालक के अनुसार, मानिकचंद नहीं चाहते कि उनके परिवार वालों को पता चले कि वह अपने आखिरी दिन इस तरह गुमनामी में बिता रहे हैं.

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गाने के माध्यम से बताया अपना दर्द
मानिकचंद अपनी भावनाओं को गानों के माध्यम से व्यक्त करते हैं. लोकल 18 की टीम जब उनके पास पहुंची, तो उन्होंने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात नहीं की. लेकिन, अपने गानों से दर्द को साझा किया. उनके गानों से उनके जीवन के संघर्ष और बच्चों के प्रति उनकी भावनाओं को समझा जा सकता है. आज जब हम आधुनिक समाज की बात करते हैं, तो ऐसे लोगों की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीक और सोशल मीडिया के इस युग में कहीं हम अपनी मानवता को तो नहीं भूल रहे हैं.

Tags: Local18, Maharajganj News



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