वेदों की तकनीक के आधार पर रॉकेट क्यों नहीं बनाता ISRO? स्पेस एजेंसी चीफ के बयान पर मचा बवाल
नई दिल्ली. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बीते दिनों एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने यह दावा किया था कि भारतीय वेदों से विज्ञान की खोज हुई है. अब इस बयान को लेकर बवाल मच गया है. वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा मिलकर बनाई गई संस्था ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी (BSS) ने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि इसरो प्रमुख का बयान सच्चाई से दूर है. अगर सच में ऐसा हुआ है तो फिर इसरो प्रमुख ये बताएं कि वेदों से लिए गए कौन से ज्ञान का इस्तेमाल इस वक्त रॉकेट बनाने में किया जा रहा है.
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह के दौरान बीती 24 मई को बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा था कि धातु विज्ञान, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, वैमानिकी विज्ञान और भौतिक विज्ञान में चीजों को प्राचीन भारत से लिया गया है. यह ज्ञान अरब के लोग भारत से लेकर गए. जहां से ये यूरोप पहुंचा. बाद में यूरोप के लोग वापस यही ज्ञान हमारे पास ये बातकर लेकर आए कि यह आधुनिक साइंस है.
इसरो जुलाई के महीने में चंद्रयान-3 मिशन की शुरुआत करने जा रहा है. इससे पहले चंद्रयान-2 मिशन साल 2019 में विफल रहा था. अगर इसरो इसे सफलता पूर्वक करने में सफल रहा तो वो ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. चार साल पहले हुई गलतियों से सीखते हुए एस सोमनाथ इस मिशन का नेतृत्व करेंगे.
बीएसएस सोसाइटी ने उठाए सवाल
बीएसएस सोसाइटी की तरफ से जारी किए गए स्टेटमेंट में कहा गया कि इसरो प्रमुख ने चीजों को कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ाकर बताया है. निश्चित तौर पर विज्ञान के क्षेत्र में विकास 600BC से 900 AD के बीच भारत में हुए थे. यह भी सच है कि विकास से जुड़ी घटनाएं मेसोपोटामिया, ग्रीस, मिस्र में भी इसी समयकाल के दौरान या फिर इससे भी पहले हुई. इसके बाद अरब के लोगों ने इसमें लीड प्राप्त की और वो इस जानकारी को यूरोप लेकर पहुंचे.
वेदों की तकनीक से रॉकेट बनाए ISRO
बीएसएस सोसाइटी की तरफ से कहा गया कि चर्चा और विज्ञान के अंदान प्रदान से यह और विकसित हुई. हर स्तर पर पिछले स्तर के मुकाबले हमने कुछ सीखा. शोध के आधार पर हमने उन बिंदुओं को पीछे छोड़ दिया जो सही साबित नहीं हुई. कहा गया कि इसरो प्रमुख क्या यह बता सकते हैं कि ऐसी कौन सी तकनीक है जो वेदों से ली गई है जिनका इस्तेमाल इसरो रॉकेट और सैटेलाइट में कर रहा है.
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Tags: ISRO, Space news
FIRST PUBLISHED : June 02, 2023, 18:39 IST