वोट के टाइम जिस स्याही से निशान बनाते हैं… क्या वो भारत में नहीं बनाई जाती है?



<p>पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ और मिजोरम तो वोटिंग भी शुरू हो गई है और मतदाताओं की वोटिंग इंक लगाए हुए तस्वीरें भी आ रही हैं. दरअसल, होता क्या है कि जब भी आप वोट देने जाते हैं तो मतदान केंद्र में अंगुली पर एक खास स्याही से मार्क किया जाता है और इसका मतलब है कि आपने वोट दे दिया है. इस मार्क की वजह से ही कोई मतदाता दो बार वोट नहीं पाता है. कभी आपने सोचा है कि आखिर इस स्याही में क्या खास होता है? साथ ही इसे लेकर कहा जाता है कि ये भारत में नहीं बनती है और विदेश से मंगवाई जाती है.&nbsp;</p>
<p>तो जानते हैं इस बात में कितनी सच्चाई है और क्या सही में इसे भारत में नहीं बनाया जाता है. जानिए आखिर ये बनती कहां है और इससे बनने की लेकर क्या कहानी है?</p>
<h3>कहां बनती है ये स्याही?</h3>
<p>पहले तो आपको बताते हैं कि भारत में वोटिंग के वक्त इस्तेमाल होने वाली स्याही भारत में ही बनाई जाती है और इसे किसी और देश से आयात नहीं किया जाता है. भारत में जितनी भी स्याही का इस्तेमाल होता है, वो मैसूर में बनाई जाती है. दरअसल मैसूर में एक कंपनी है, जिसका नाम मैसूर पैंट्स एंड वर्निस लिमिटेड. इस कंपनी में ही देशभर में चुनाव के दौरान इस्तेमाल होने वाली खास स्याही बनाई जाती है, जो एक बार लगाने के बाद कई दिन तक मिटती नहीं है.&nbsp;</p>
<p>टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ये स्याही साल 1962 से सप्लाई कर रही है. खास बात ये है कि कंपनी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि 30 अन्य देशों में भी स्याही की सप्लाई करती है. इस खास स्याही के लिए चुनाव आयोग इसे ऑर्डर देता है और हर चुनाव से पहले मतदाताओं की संख्या के आधार पर स्याही का निर्माण किया जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्याही में क्या क्या डाला जाता है, इस बात की जानकारी सिर्फ कंपनी के क्वालिटी मैनेजर के पास ही होती है और इसे खास तरह की एक सिक्योर लैब में बनाया जाता है.&nbsp;</p>
<p>जब देश में लोकसभा के चुनाव हुए थे, तब इस कंपनी ने 36 लाख बोतलों का निर्माण किया जाता था, जिन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया था. ऐसे ही विधानसभा और अन्य नगर निगम, पंचायत चुनाव के दौरान भी ये स्याही बनाई जाती है.&nbsp;</p>
<h3>कितनी है कीमत?</h3>
<p>इस स्याही की एक छोटी सी बोतल की कीमत करीब 164 रुपये है, हालांकि ये रॉ मटीरियल की कीमत पर निर्भर करता है. इस रेट में कुछ बदलाव भी संभव है.&nbsp;</p>



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