व्यापार युद्ध चीन-अमेरिका में, संकट के बादल भारत पर, एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने समझाया क्या ये खतरा


हाइलाइट्स

भारत बन सकता है डंपिंग जोन.चीन अपना अतिरिक्त सामान यहां भेज सकता है.इससे घरेलू उद्योगों को नुकसान होने का खतरा.

नई दिल्ली. एक्सपोर्टर्स के शीर्ष संगठन फियो ने गुरुवार को कहा कि चीन के पास इलेक्ट्रिक वाहन जैसे कई क्षेत्रों में अत्यधिक क्षमता है. ऐसे में चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध के कारण घरेलू बाजार में सामान की डंपिंग के खतरे की आशंका है. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि उद्योग और सरकार को चीन से आयात पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. यदि आयात में वृद्धि या डंपिंग होती है, तो व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) को घरेलू कंपनियों के हितों की रक्षा लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए.

डीजीटीआर वाणिज्य मंत्रालय की एक जांच इकाई है जो डंपिंग-रोधी शुल्क, सुरक्षा शुल्क और जवाबी शुल्क से जुड़े मामलों को देखता है. कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘चीन के पास कई क्षेत्रों में जरूरत से ज्यादा क्षमता है. इसको देखते हुए डंपिंग के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है. खासकर तब जब उनके निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बंद हो.’’

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अमेरिका ने मंगलवार को चीन के इलेक्ट्रिक वाहनों, उन्नत बैटरी, सौर सेल, इस्पात, एल्यूमीनियम और चिकित्सा उपकरणों पर नए आयात शुल्क लगाने की योजना की घोषणा की. अमेरिका में इस साल चुनाव होने हैं, ऐसे में इस प्रकार के कदम से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है. हालांकि कुमार ने कहा कि यह भारत और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों को आपूर्ति के अंतर को पाटने का अवसर भी प्रदान करता है.

चीन पर अतिरिक्त शुल्क से प्रभावित होने वाले उत्पादों में फेसमास्क, सिरिंज, चिकित्सा दस्ताने, एल्यूमीनियम और लोहा तथा इस्पात शामिल हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों में भारत के पास अवसर हैं. उन्होंने कहा, ‘‘चीन भी अमेरिका के निर्यात पर जवाबी कदम उठा सकता है, इससे भी भारत के लिए अवसर आ सकता है…’’

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कुमार ने यह भी कहा कि लाल सागर संकट का समुद्री माल ढुलाई और हवाई माल ढुलाई दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इससे भारतीय निर्यात प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से समुद्र के रास्ते भेजे जाने वाले कुछ सामान को संकट के कारण हवाई मार्ग से भेजा जा रहा है लिहाजा हवाई माल ढुलाई की मांग बढ़ी है. इससे ‘एयर कार्गो’ की लागत बढ़ गई है.

कुमार ने कहा, ‘‘समुद्री और हवाई मार्ग के जरिये मालढुलाई लागत बढ़ने से विदेशी खरीदारों के लिए भारतीय निर्यात अधिक महंगा हो जाता है. इससे वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता को नुकसान हो सकता है…’’

फियो के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, लाल सागर संकट भारतीय निर्यातकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर रहा है. भारत सरकार और कंपनियां इसके प्रभावों को कम करने के लिए रणनीतियों की तलाश कर रहे हैं. इसमें वैकल्पिक पोत परिवहन मार्ग की खोज करना शामिल है.’’



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