शहद सा मीठा, फिर क्‍यों कहलता है ये ‘लंगड़ा आम’, क‍िसने रखा इसका ये अतरंगी नाम, जानिए मजेदार क‍िस्‍सा


How Langda Aam Got it’s Name: शेक्‍सपीयर ने कहा था, “What’s in a name? That which we call a rose by any other name would smell just as sweet.” यानी ‘नाम में क्‍या रखा है, अगर गुलाब को क‍िसी और नाम से पुकारते तब भी वह इतना ही सुंदर महकता…’ नाम से जुड़ी ये कहावत है तो मजेदार, लेकिन शेक्‍सपीयर की ये बात हमेशा सही हो ये जरूर नहीं. कई बार नाम के पीछे बहुत कुछ छ‍िपा होता है. मसलन अगर आपको वाराणसी जाना हो तो ट‍िकि‍ट लेने के ल‍िए आपको नाम बताना ही होगा. नाम काफी अहम है और अगर इसके पीछे अगर कोई द‍िलचस्‍प कहानी हो तो क्‍या कहने. आज हम भी आपको ‘फलों के राजा’ कहे जाने वाले आम के नाम के पीछे का मजेदार क‍िस्‍सा बताने जा रहे हैं. आम की ये क‍िस्‍म है ‘लंगड़ा आम’.

लंगड़ा आम का नाम आपने खूब सुना होगा. दसहरी, अलफांसो, केसर‍िया जैसे आमों की क‍िस्‍मों के बीच लंगड़ा आम काफी प्रस‍िद्ध है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि हरे रंग के इस शहद से मीठे आम को आखिर ‘लंगड़ा’ क्‍यों कहा जाता है? चल‍िए हम आपको इसकी कहानी बताते हैं. ये कहानी बनारस से जुड़ी है. चल‍िए आपको बताते हैं.

‘लंगड़ा आम’ को ये नाम म‍िलने के पीछे एक मजेदार कहानी है. 250 साल पुरानी ये कहानी बनारस के एक श‍िव मंदिर से जुड़ी है. इस श‍िव मंदिर में एक पुजारी रहता था, ज‍िसका एक पैर नहीं था. इस पुजारी को सब लंगड़ा पुजारी कहते थे. एक द‍िन एक साधू महाराज आए और उन्‍होंने मंदिर में 2 आम के पेड़ लगा द‍िए. वह साधू जाने लगा पर उसने उस पुजारी से कहा कि इस आम के फल वो क‍िसी को न दे. जैसा की आपको पता है कि आम के पेड़ में फल लगने में सालों लगते हैं. ऐसे ही सालों बाद आम के पेड़ में फल लगे. साधू ने मना क‍िया था लेकिन बनारस का राजा लंगड़ा पुजारी से आम ले लेते हैं. धीरे-धीरे आम की ये प्रजाति पूरे बनारस से लेकर देशभर में ‘लंगड़ा पुजारी’ के नाम से फैल गई. तभी से आम की इस क‍िस्‍म को लंगड़ा कहा जाने लगा.

स‍िर्फ लगड़ा ही नहीं, आम की कई और क‍िस्‍मों के भी बड़े द‍िलचस्‍प नाम हैं. जैसे ‘दशहरी आम’ या ‘हाथी झूल आम’. ऐसा कहा जाता है कि दशहरी आम का पहला पेड़ काकोरी स्टेशन के पास के दशहरी गांव में लगा था. यही वजह है कि यूपी के इसी गांव के नाम पर आम की इस क‍िस्‍म का नाम ‘दशहरी आम’ पड़ गया. दशहरी के अलावा चौसा आम का नाम भी एक गांव के नाम पर ही है. ‘हाथी झूल आम’ की बात करें तो ये आम सबसे बड़े आकार का होता है. हाथी झूल आम का एक फल लगभग 3 से साढ़े तीन किलोग्राम तक होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस आम का नाम सहारनपुर के एक किसान ने इसे लटकता हुआ देखकर रखा था.

FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 24:11 IST



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