शाम होते ही लगने लगता मजमा, रात भर लगी रहती थी रौनक, गिरफ्त में आए 2 युवतियों संग कुल 7, बड़े रैकेट का खुलासा
Delhi Police: दिल्ली के द्वारका इलाके की एक इमारत, जहां शाम होते ही लड़के-लड़कियों का मजमा लगना शुरू हो जाता था. इस इमारत की तीसरी मंजिल में रात भर इन लड़के-लड़कियों की रौनक जमी रहती. जैसे सुबह का सूरज निकलता, एक-एक इनके निकलने का सिलसिला शुरू हो जाता है. यह नजारा किसी एक-दो दिन का नहीं, बल्कि हर शाम का होता था. ये लड़के-लड़कियां इस इमारत के अंदर क्या करते थे, किसी को कुछ खबर नहीं थी.
14 मई को द्वारका के सेक्टर 19 में स्थित इस इमारत में लगने वाले इस मजमे की भनक दिल्ली पुलिस को लग गई. एक मुखबिर ने इस बिल्डिंग में चल रहे रैकेट की खबर द्वारका पुलिस स्टेशन में तैनात सब इंस्पेक्टर राहुल और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर मंगतू राम तक पहुंचा दी था. सही समय पर मुखबिर की तरफ से इशारा मिलते ही पुलिस टीम ने बिल्डिंग में छापेमारी कर दी. इस दौरान, मौके पर कुल सात लोग थे, जिसमें 5 युवक और 2 युवतियां शामिल है.
मौके का नजारा देख कुछ देर के लिए पुलिस टीम भी सकते में आ गई. कहीं स्टेला, कहीं बेन, तो कहीं लिंडा अपने कस्टमर्स को अपने जाल में फंसाने में लगे हुए थे. पुलिस टीम तत्काल एक्शन में आई और मौके पर मौजूद सभी लोगों को हिरासत में ले लिया. पूछताछ में पता चला कि यहां से एक इंटरनेशनल फेक कॉल सेंटर ऑपरेट किया जा रहा है, जो खुद को माइक्रोसॉफ्ट का एग्जक्यूटिव बताकर अमेरिका में रहने वाले लोगों को अपना निशाना बनाते थे.
द्वारका जिला पुलिस उपायुक्त अंकित सिंह के अनुसार, यह रैकेट पहले अमेरिका में रह रहे लोगों के सिस्टम में प्रॉब्लम क्रिएट करते थे और बाद में इन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के नाम पर गिफ्ट के रूप में मोटी रकम वसूलते थे. जांच में यह भी पता चला कि अमेरिका में अपने कस्टमर्स से बातचीत करने के लिए आईबीम और एक्सलाइट जैसे हाईटेक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते थे, जिससे उनके नंबरों को अमेरिकी नंबर में इंपर्सोनेट किया जा सके.
उन्होंने बताया कि लैपटॉप के आईपी एड्रेस को छिपाने के लिए सभी लैपटॉप्स में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) इंस्टॉल किया गया था. साथ ही, सभी के लैपटॉप्स में ‘माइक्रोएसआईपी’, ‘अल्ट्राव्यूअर’ और ‘आईबीईएएम’ डायलर जैसे उच्च-स्तरीय टेक्निकल सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए गए थे, जिससे अमेरिकी कस्टमर को धोखे में रखा जा सके. साथ ही, इंटरनेशनल लॉन्ग डिस्टेंस (आईएलडी) गेटवे से बचने के लिए आरोपी वीओआईपी कॉलिंग का इस्तेमाल करते थे.
डीसीपी अंकित सिंह के अनुसार, मौके से गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान रेहान (30 वर्ष), आशीष नेगी (35 वर्ष) ठाकुर उदय गिल (25 वर्ष), प्रदीप कुमार (31 वर्ष), निखिल गुप्ता (23 वर्ष), प्रभजीत (21 वर्ष) और नंदनी (26) के रूप में हुई है. पूछताछ में पता चला कि से सभी क्रमश: बेन, मार्क, एरिक, डेन, निक, स्टेला और लेंडा के नाम से कस्टमर्स से बात करते थे. इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 419/420/120B/34 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 04:43 IST