सिंचाई के बाद गेहूं की फसल में MOP का करें प्रयोग, पौधे और दाने दोनों होंगे पुष्ट, पैदावार भी होगी बंपर
Agency:News18 Bihar
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Wheat Farming Tips: गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई और एमओपी बेहद जरूरी माना जाता है. इसकी कमी से फसल के ग्रोथ से लेरक उत्पादन पर असर पड़ता है. जब गेहूं की फसल 60 से 70 दिनों का हो जाए तो पटवन के बाद यूरिया…और पढ़ें
जानकारी देते कृषि एक्सपर्ट अंशुमान द्विवेदी
हाइलाइट्स
- गेहूं की फसल में MOP का प्रयोग करें.
- सिंचाई के बाद यूरिया, पोटास और बोरोन डालें.
- इससे फसल और दाने दोनों पुष्ट होंगे.
बेगूसराय: बिहार में धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं है. बिहार में गेहूं की बेहतर पैदवार के लिए कृषि वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं. इसकाे लेकर बिहार के कृषि विश्वविद्यालयों में उन्नत बीज से लेकर बेहतर उत्पादन के लिए शोध चलते रहता है. गेहूं की खेती में प्रबंधन बेहद जरूरी है. समय वर सिंचाई और खाद का छिड़काव फसल के उत्पादन को बेहतर करता है. हालांकि गेहूं की फसल जब 60 से 70 दिन का हो जाए तो इसके प्रबंधन को लेकर बेगूसराय जिला स्थित कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के कृषि वैज्ञानिक अंशुमान द्विवेदी ने अहम सुझाव दिया है.
सिंचाई का सही तरीका अपनाना बेहद जरूरी
आमतौर पर प्रदेश में गेहूं की पटवन के लिए किसान फ्लड तकनीक का प्रयोग करते हैं. इस तकनीकी से खेती करने पर खेतों में काफी पानी लग जाता है. लेकिन, जब फसल 60 से 70 दिनों का हो तो यह तकनीक किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. कृषि एक्सपर्ट अंशुमान द्विवेदी ने बताया कि किसानों को ड्रिप इरीगेशन या फिर क्यारी बनाकर पटवन करना चाहिए. जिससे गेहूं की सिंचाई भी अच्छे से हो जाएगी और पानी का जमाव भी नहीं होगा. इससे यह फायदा मिलेगा कि फसल नहीं गिरेगा. यह तकनीक ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कारगर माना जाता है.
किसान MOP का करें छिड़काव
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में गेहूं की कम पैदावार के अनेक कारण हैं. इनमें से प्रमुख कारण सिंचाई का का समुचित साधन नहीं होना या सही समय पर बेहतर ढंग से सिंचाई ना करना है. गेहूं में जल प्रबंधन एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इसके बाद MOP यानी म्यूरेट ऑफ पोटाश की कमी दूसरा सबसे बड़ा कारण है. कृषि एक्सपर्ट अंशुमान द्विवेदी ने बताया कि पटवन के तुरंत बाद किसान भाई एमओपी यानी यूरिया, पोटास और बोरोन 25 किलो प्रति एकड़ अपने गेहूं की फसलों में डाल सकते हैं. इसका फायदा यह मिलेगा कि गेहूं की बाली लंबे, मोटे और तगड़े होंगे. जिससे गेहूं के पौधे भी मोटे और तगड़े होगें. इससे किसानों को गेहूं की फसल ज्यादा उत्पादन तो देगी ही, साथ ही भूसा भी मोटा और चिकना होगा, जो पशुओं को चारे के तौर दे सकते हैं.
Begusarai,Bihar
February 01, 2025, 17:43 IST