सुंधा माता मंदिर: श्रद्धा और रोमांच का संगम, ऊंट की सवारी बनी खास आकर्षण


सोनाली भाटी/ जालौर: सुंधा माता का मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव भी प्रदान करता है. मंदिर की यात्रा के बाद थार के रेगिस्तान में ऊंट की सवारी, यहां की यात्रा को और भी रोमांचकारी बना देती है. ऊंटों पर लगी स्पीकर्स से गूंजते लोकगीत पर्यटकों को राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू कराते हैं. यह यात्रा पर्यटकों को राजस्थान की परंपराओं और सांस्कृतिक जीवन से गहराई से जोड़ती है.

रंग-बिरंगी सजावट से सजे ऊंट और घोड़े
यहां की ऊंट और घोड़े की सवारी की खासियत इनकी खूबसूरत सजावट है. रंग-बिरंगी कढ़ाईदार झूल और पारंपरिक गहनों से सजे ऊंटों की मोरपंखी सजावट देखने लायक होती है. इन सजावटी ऊंटों पर बैठकर जब आप थार के सुनहरे रेगिस्तान में यात्रा करते हैं, तो यह दृश्य किसी शाही सवारी का आभास कराता है.

किफायती दरों पर अनमोल अनुभव
सिर्फ ₹100 की किफायती दर पर मिलने वाली यह ऊंट सवारी पर्यटकों के लिए खास आकर्षण है. सवारी के दौरान स्पीकर्स पर बजते लोकगीत और ऊंटों की खूबसूरत साज-सज्जा इस यात्रा को और भी यादगार बना देते हैं. इस सवारी को पेश करने वाले कारीगर अपने लंबे अनुभव और पारंपरिक कौशल से इस सफर को खास बना देते हैं.

अनूठा अनुभव, यादगार यात्रा
सुंधा माता की धार्मिक यात्रा के साथ थार के धोरों में ऊंट की सवारी का यह अनूठा अनुभव आपकी यात्रा को रोमांचक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बना देगा. जब भी आप सुंधा माता मंदिर आएं, ऊंट की सवारी का यह खास अनुभव लेना न भूलें, क्योंकि यह न सिर्फ एक सफर है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का आनंद लेने का एक तरीका भी है.

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