सूखा प्रभावित क्षेत्रों में करें इस मोटे अनाज की खेती, कम खर्च में होगा तगड़ा मुनाफा, चारे की कमी भी होगी दूर
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : गेहूं की कटाई के बाद ज्यादातर किसान धान की रोपाई करते हैं. धान की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में अगर आपके पास सिंचाई के लिए पर्याप्त साधन नहीं है तो आप बाजरे की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. बाजरे की फसल 60 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है. बाजरे की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है. खास बात यह है कि बाजरे की खेती में लागत भी बेहद कम आती है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बाजरा को मोटे अनाज के तौर पर जाना जाता है. सरकार लगातार मोटे अनाज की खेती को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. बाजरे की रोटी और चूरमा सर्दियों के दिनों में बेहद पसंद किया जाता है और भारत में इसकी खेती प्राचीन समय से होती आ रही है. भारत अब तक दुनिया का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक है. बाजरे की खेती से एक और यहां अनाज मिलता है तो वहीं दूसरी ओर पशुओं के सूखा चारा भी मिलता है इसकी वजह से यह किसानों के लिए फायदे की फसल है.
मिट्टी और जलवायु के आधार पर करें प्रजाति का चयन
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बाजरे की फसल करने के लिए जल निकास वाली भूमिका चयन करना चाहिए. बाजरे की खेती हल्की बलुई दोमट और दोमट मिट्टी में की जाए तो अच्छा उत्पादन मिलता है. बाजरे की भारत में कई किस्में उगाई जाती है. जिनमें फॉक्सटेल बाजरा, छोटा बाजरा, फिंगर बाजराऔर मोती बाजरा शामिल है. जरूरी है कि किसान अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु को ध्यान रखते हुए किस्मों का चयन करें.
रोगरोधी है बाजरे की ये किस्म
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बाजरे की नई किस्म एचएचबी- 311 जोगिया रोग रोधी है. दूसरी किस्मों की तुलना में सूखा चारा और उपज भी अधिक देती है. यह 70 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है. अगर किसान बाजरे की फसल की अच्छे से देखभाल कर लें. तो यह 18 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन देती है.
ऐसे करें बाजरे के लिए खेत तैयार
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बाजरे की बुवाई करने से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई करें. दो से तीन बार डिस्क हैरो या फिर कल्टीवेटर से जमीन को जोत कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. उसके बाद पाटा चला कर खेत को समतल कर लें. बाजरे की एक हेक्टेयर बुवाई के लिए 4 से 5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें. बाजरे की खेती 15 जुलाई से 15 अगस्त तक की जा सकती है.
बुवाई से पहले करें ये काम
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बाजरे की बुवाई से पहले बीज शोधन अवश्य कर लें. बीज शोधन के लिए 1 किग्रा नमक 5 लीटर पानी में मिलाकर बीज को 5 मिनट तक डुबोकर चलाते रहें. तैरते हुए हल्के बीज को अलग कर लें. बचे हुए बीज को साफ पानी से धोकर छाया में सूखने के लिए छोड़ दें. बुवाई से पहले एक ग्राम थायोयूरिया प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 5 घंटे तक बीज को भिगोकर 2 से 3 घंटे छाया में सुखा लें. उसके बाद प्रति किलो बीज के हिसाब से 3 ग्राम थीरम से उपचारित कर लें. उसके बाद अगर बीज को एजोटोबेक्टर और पीएसबी कल्चर से उपचारित कर लिया जाए तो और भी फायदेमंद होगा.
कैसे करें बाजरे की बुवाई?
डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि बाजरे की बुवाई करने से पहले सुनिश्चित करने की खेत में पर्याप्त नमी हो. फिर कूड बनाकर या फिर सीड ड्रिल से बाजरे की बुवाई कर दें. ध्यान रखें की लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर है. बीज की बुवाई तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई पर ही करें.
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FIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 08:11 IST