सूखे में भी खेती… नेता जी ने 9×5 फार्मूले से लगा दिए अमरूद, हुआ 5 लाख का मुनाफा


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Guava Farming सूखा प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए अमरूद की फसल वरदान साबित हो रही है. सांगली के खानापुर तालुका के सुलतानगादे गांव के एक प्रगतिशील किसान ने ताइवान पिंक अमरूद की खेती से आर्थिक मजबूती हासिल …और पढ़ें

सूखे में भी खेती, नेता जी ने 9×5 फार्मूले से लगा दिए अमरूद,हुआ 5 लाख का मुनाफा

अमरूद की फसल

सांगली: महाराष्ट्र के सांगली जिले का खानापुर तालुका सूखा प्रभावित क्षेत्र है. यहां के किसान अब बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं. सुलतानगादे गांव के प्रगतिशील किसान नेताजी जाधव ने अमरूद की खेती से 5 लाख रुपये का उत्पादन किया है. सालों से सूखी रहने वाली जमीन से उन्हें पहली बार अमरूद की फसल से अच्छा मुनाफा हुआ है.

पढ़े-लिखे नेताजी जाधव ने नौकरी के पीछे न भागकर खेती को चुना. कई मुश्किलों का सामना करते हुए वे खेती में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. हाल ही में खानापुर क्षेत्र में अंगूर और गन्ने की खेती बढ़ी है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण अंगूर की फसल को नुकसान होता है. इस क्षेत्र में कोई सहकारी चीनी मिल न होने के कारण गन्ने की बिक्री में भी दिक्कतें आती हैं. इसलिए जाधव ने गन्ने और अंगूर की जगह अमरूद की खेती को चुना.

ऐसे की खेती
बता दें कि दो साल पहले एक एकड़ जमीन में ताइवान पिंक अमरूद की खेती शुरू की. इंदापुर से 22 रुपये प्रति पौधे की दर से पौधे खरीदे. 9×5 की दूरी पर पौधे लगाए. कुल 850 अमरूद के पौधे लगाए.

अमरूद के बाग में उड़द की फसल
बता दें कि अमरूद के पौधे छोटे थे, तब उन्होंने उड़द की फसल भी लगाई. इससे उन्हें 4 क्विंटल उड़द का उत्पादन मिला. साथ ही अमरूद के बाग को उड़द का जैविक खाद भी मिला.

एक एकड़ में नौ टन अमरूद का उत्पादन
पौधों की अच्छी वृद्धि के बाद पहले साल में चार टन का उत्पादन हुआ. इस साल नौ टन का उत्पादन हुआ. उन्हें प्रति किलो औसतन 60 रुपये का भाव मिला, जिससे 5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. छंटाई पर 1 लाख 70 हजार रुपये का खर्च आया. कुल 5 लाख 40 हजार रुपये का उत्पादन हुआ.

सूखा प्रभावित क्षेत्र में दिन-रात मेहनत करने वाले किसान को अमरूद की फसल से लाखों का मुनाफा हुआ. इससे नौकरी के पीछे न भागकर खेती में मेहनत करने वाले पढ़े-लिखे किसानों को प्रोत्साहन मिल रहा है. नेताजी जाधव ने कहा, “अन्य बागवानी की तुलना में कम पानी में अधिक आर्थिक लाभ देने वाली फसल की खेती फायदेमंद साबित हो रही है.”

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प्रगतिशील किसान नेताजी जाधव ने कहा “हमने खेती में विभिन्न फसलों का प्रयोग किया था. टमाटर और फूलों की खेती से अच्छा उत्पादन होता था, लेकिन स्थिर भाव न मिलने के कारण नुकसान होता था. लेकिन अमरूद की खेती से हमें अच्छा मुनाफा हो रहा है. केरल और आंध्र प्रदेश के व्यापारी खेत में आकर अमरूद खरीदते हैं, जिससे निर्यात का खर्च शून्य हो जाता है.”

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