स्वामीनारायण संप्रदाय के साधु खाते हैं कौन सी 5 कठोर कसमें, जिनका अक्षरधाम मंदिर? करते हैं किसकी पूजा
संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) की राजधानी अबूधाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पहले हिंदू मंदिर की शुरुआत हुई. इस भव्य मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) ने किया है. 27 एकड़ में बने इस मंदिर को बनाने में करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हुए. यह सिर्फ UAE का ही नहीं, बल्कि मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा मंदिर होगा.
क्या है BAPS संस्था जिसने UAE में पहले हिंदू मंदिर का निर्माण किया, इसकी नींव किसने रखी थी, ये किस मत और संप्रदाय से आते हैं और किस भगवान को मानते हैं? जानिये इस Explainer में…
क्या है BAPS संस्था?
BAPS का पूरा नाम बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (Bochasanwasi Shri Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha) है. यह एक सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था है. इसकी नींव भगवान स्वामीनारायण (Bhagwan Swaminarayan) ने 18वीं शताब्दी के आखिर में रखी थी. बाद में साल 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने विधिवत स्थापना की.
कौन थे भगवान स्वामीनारायण? (Who was Bhagwan Swaminarayan)
भगवान स्वामीनारायण (Bhagwan Swaminarayan Biography) का जन्म साल 1781 में अयोध्या के छपैया या छपिया गांव में हुआ था. बचपन में उन्हें घनश्याम पांडे या नीलकंठ के नाम से जाना जाता था. पिता का नाम हरि प्रसाद पांडेय और माता का नाम प्रेमवती था. वह तीन भाई थे. सबसे बड़े भाई का नाम राम प्रताप और छोटे भाई का नाम इच्छाराम था. घनश्याम पांडे जब 7 साल के थे, तब उनका परिवार छपिया गांव छोड़कर अयोध्या रहने आ गया.
11 की उम्र में घर त्याग निकल पड़े
BAPS स्वामीनारायण रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. जनक दवे hindi.news18.com को बताते हैं कि घनश्याम पांडे (भगवान स्वामीनारायण) का आठवें साल में जनेऊ संस्कार हुआ और उन्होंने 11 साल की उम्र तक विधिवत शास्त्रों का अध्ययन किया. 11वें साल गृह त्याग दिया. घर में किसी को बताए बिना, सब कुछ छोड़-छाड़ निकल पड़े. 18 साल की उम्र तक पूरे भारत की पैदल यात्रा की. बद्रीनाथ और केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक गए.
युवा नीलकंठ 18वें वर्ष गुजरात के सौराष्ट्र आ गए. यहां लोजपुर गांव में रामानंद स्वामी रहा करते थे, जिन्होंने उद्धव संप्रदाय की स्थापना की थी. उनके आश्रम में सुखानंद स्वामी थे, जिनसे नीलकंठ की मुलाकात हुई. वह उन्हें रामानंद स्वामी से मिलाने ले गए. रामानंद स्वामी, नीलकंठ को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें अपने साथ रहने को कहा. वह तैयार हो गए. उसी समय रामानंद स्वामी ने नीलकंठ को उद्धव संप्रदाय का प्रमुख या आचार्य बनाने का फैसला कर लिया.
21वें साल बने प्रमुख आचार्य
रामानंद स्वामी ने नीलकंठ या घनश्याम पांडे को दो नाम दिये. पहला नाम नारायण मुनी और दूसरा सहजानंद स्वामी. 21 की उम्र में ये दो नाम देकर अपनी गद्दी सौंप दी. इसके बाद वह अपने अनुयायियों के बीच ‘भगवान स्वामीनारायण’ के नाम से मशहूर हुए. भगवान स्वामीनारायण सौराष्ट्र के गांव-गांव गए. उत्तम विचार और आचार की शिक्षा फैलाई. भगवान स्वामीनारायण ने साल 1830 में महज 49 साल की उम्र में सौराष्ट्र के गडपुर नाम के गांव में आखिरी सांस ली. देह त्याग के बाद उनकी अंत्येष्टि वहीं हुई. आज वहां बहुत विशाल स्वामीनारायण बड़ा मंदिर है.
आज अक्षरधाम समेत स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रत्येक मंदिर में भगवान स्वामीनारायण की प्रमुखता से पूजा होती है. विशाल मूर्ति है. इसके अलावा हिंदू धर्म के तमाम देवी-देवताओं की भी आराधना होती है. जैसे- राधा-कृष्ण, सीताराम, हनुमान जी, लक्ष्मीनारायण और गणपति.
कौन सी 5 कठिन कसमें खाते हैं?
स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े साधुओं और अनुयायियों को 5 कसमें दिलाई जाती हैं. जिनमें शराब, व्यसन, व्यभिचार, मांस से दूरी और शरीर व मन की अशुद्धता शामिल है. इन 5 व्रतों का आजीवन पालन करना होता है. संप्रदाय के मुताबिक ऐसी शुद्ध नैतिकता और आध्यात्मिकता BAPS द्वारा की जाने वाली मानवीय सेवाओं की नींव है.
स्वामीनारायण के कितने अनुयायी हैं?
भारत समेत दुनिया भर में स्वामीनारायण संप्रदाय (BAPS Followers) के 10 लाख से ज्यादा अनुयायी या फॉलोअर हैं. BAPS संस्था को तमाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है. संयुक्त राष्ट्र से भी संबद्धता प्राप्त है.
दुनिया में कितने मंदिर?
BAPS स्वामीनारायण संस्था के दुनिया भर में 1200 से ज्यादा मंदिर हैं. 120 से ज्यादा, मंदिर अकेले अमेरिका में हैं. भारत की बात करें तो यहां BAPS 800 के करीब छोटे-बड़े मंदिर हैं. दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर भी BAPS स्वामीनारायण संस्था का ही है. BAPS की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक संस्था, दुनियाभर में 3,850 से अधिक केंद्रों के जरिये लोगों की सामाजिक, आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयत्नशील है.
अब कौन हैं महंत
स्वामीनारायण संप्रदाय के ‘प्रमुख स्वामी’ महाराज शांतिलाल पटेल का साल 2016 में निधन हो गया था. अभी साधु केशव जीवन दास BAPS के ‘प्रमुख महंत’ स्वामी हैं.
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Tags: Hindu Temple, Hindu Temples, UAE
FIRST PUBLISHED : February 14, 2024, 14:41 IST