हमको उन से वफ़ा की है उम्मीद…जब संसद में मनमोहन सिंह-सुषमा स्वराज के बीच शायराना अंदाज में हुई नोकझोंक
नई दिल्ली. 15वीं लोकसभा की शुरुआत साल 2009 में हुई. मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. 2004 में कांग्रेस के 145 सांसदों के साथ और यूपीए के 15 दलों को लेकर मनमोहन सिंह यूपीए पार्ट 1 की सरकार को खूबसूरती से चलाया. 2009 में जनता ने जनादेश भी मनमोहन सिंह के पक्ष दिया. कांग्रेस 145 से 206 सांसद तक भी पहुंच गई. 2009 से 2011 तक तो यूपीए पार्ट 2 की सरकार स्थिर रही लेकिन फिर उनके खिलाफ देश में माहौल बनने लगा. ये दौर था अन्ना आंदोलन, विकिलिक्स खुलासे, दिल्ली में बाबा रामदेव के डेरे का. बेहद कम शब्दों में अपनी बात कहने वाले मनमोहन सिंह मुश्किलों से घिरते जा रहे थे. विपक्ष उनके खिलाफ एक भी मौका नहीं चूकता था. लेकिन विनम्रता की मूर्ति सिंह संसद में भी विपक्ष को जवाब शायराना अंदाज में देते थे.
जूलियन असांजे के विकिलिक्स खुलासे से पूरी दुनिया में तहलका मच गया था. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. संसद में सुषमा स्वराज के नेतृत्व में विपक्ष लगातार मनमोहन सिंह को घेरे हुए था. सुषमा स्वराज भी प्रखर वक्ता रही हैं. उन्होंने पीएम सिंह पर शहाब जाफरी की पंक्तियों के साथ हमला बोला.
तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा,
हमें रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है…
सुषमा को जवाब देने के लिए मनमोहन सिंह ने अल्लामा इकबाल का सहारा लिया.
माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं,
तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख…
इस शेर को सुनते ही पूरे सदन में ठहाके गूंज गए. खुद सुषमा स्वराज भी अपने चेहरे की मुस्कान नहीं रोक पाई.
दोनों दिग्गजों के बीच शायरी का दूसरा मुकाबला साल 2013 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान हुआ. 27 दिसंबर को मिर्जा गालिब की जयंती भी है. मनमोहन सिंह ने इस बार सुषमा को जवाब देने के लिए मिर्जा गालिब का शेर चुना.
हमको उनसे है वफा की उम्मीद
जो नहीं जानते वफा क्या है’…
सुषमा भी कहां चुप रहने वाली थीं. उन्होंने कहा कि शायरी का एक अदब होता कि शेर कभी उधार नहीं रखा जाता, इसलिए मैं मैं प्रधानमंत्री का यह उधार चुकता करना चाहती हूं. सुषमा ने जवाबी हमले के लिए 2 शेर चुने. पहला शेर उन्होंने बशीर बद्र का पढ़ा.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं ही कोई बेवफा नहीं होता…
दूसरा शेर सुषमा ने पढ़ा-‘तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफा याद नहीं, जिंदगी और मौत के दो ही तो तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं एक हमें याद नहीं’. अब देश के दोनों धरोहर हमारे बीच नहीं है. सुषमा का निधन साल 2019 में हुआ था.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 10:41 IST