हम जीत सकते थे… चुपचाप सुन रहे थे राहुल गांधी, मीटिंग में अचानक हुए गुस्से से लाल, फिर किसपर बरस पड़े?


हाइलाइट्स

हरियाणा में बीजेपी ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की. कांग्रेस ने हरियाणा में सत्‍ता में वापसी का मौका गंवा दिया. राहुल गांधी ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की जमकर क्‍लास लगाई.

नई दिल्‍ली. हरियाणा में जीत की सबसे बड़ी दावेदार माने जाने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के हाथ से राज्‍य की सत्‍ता निकल गई. ऐसे में चुनाव के बाद जब हार पर पार्टी की रिव्‍यू मीटिंग हुई तो सबसे ज्‍यादा नाराजगी लोकसभा में विपक्ष के नेता और पार्टी के सीनियर लीडर राहुल गांधी की देखने को मिली. चुनाव से पहले पार्टी की गुटबाजी को बड़ी वजह माना गया. यह बैठक बेहद छोटी थी लेकिन राहुल ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को स्वार्थी करार देते हुए इसे हार की वजह बताया. वो काफी हद तक मीटिंग में चुप रहे लेकिन अपनी बात कहने के बाद वहां से उठकर चले गए.

यह बैठक कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने घर पर बुलाई थी, जिसमें अजय माकन, अशोक गहलोत, दीपक बाबरिया और केसी वेणुगोपाल जैसे पर्यवेक्षक भी मौजूद रहे. मीटिंग में ज्‍यादातर वक्‍त बाकी सदस्‍यों ने अपनी बात कही. राहुल ने मूल रूप से दो मुद्दे उठाए. पहला- ईवीएम और चुनाव आयोग की गलती का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा. कहा गया गया कि चुनाव की गिनती में क्‍या हेराफेरी हुई इसपर विस्तृत रिपोर्ट आनी चाहिए. दूसरा- यह एक ऐसा चुनाव था जिसे जीता जा सकता था, लेकिन स्थानीय नेताओं को पार्टी की बजाय अपनी प्रगति में अधिक रुचि थी. राहुल गांधी की इस बात पर कमरे में जोरदार सन्नाटा छा गया.

राहुल गांधी ने यह बात तब कही जब सभी नेता ईवीएम को दोष देने में लगे हुए थे. उन्‍होंने कहा कि नेता “आपस में ही लड़े और पार्टी के बारे में नहीं सोचा. यह कहते हुए गांधी उठकर चले गए. सूत्रों का कहना है कि उनका हमला सिर्फ हुड्डा पर नहीं, बल्कि सभी पर था. इसी उद्देश्य से हार के कारणों का आकलन करने के लिए एक समिति गठित की जा रही है. ऐसा पहली बार नहीं है कि अंदरूनी कलह के कारण कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसके ताजा उदाहरण हैं.

ऐसा नहीं है कि गांधी को अलग-अलग राज्‍य में अंदरुनी कलह की जानकारी नहीं है. हरियाणा की ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर ही राहुल गांधी चुनाव के बीच में कुमारी सैलजा से मिले और हुड्डा के साथ मिलकर काम करने की बात  कही थी. अब राहुल गांधी को सामने महाराष्‍ट्र का चुनाव नजर आ रहा है. यहां भी कांग्रेस को भारी अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है और पार्टी अब कोई जोखिम नहीं उठा सकती. समस्या यह है कि हरियाणा के उलट महाराष्ट्र में कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और उद्धव ठाकरे की सेना दोनों के साथ गठबंधन में है. उन्होंने कांग्रेस को पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अंदरूनी कलह उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है.

Tags: Bhupendra Singh Hooda, Mallikarjun kharge, Rahul gandhi



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