हाई कोर्ट से मिली मां के अंतिम संस्‍कार की अनुमति, बेटा बोला- मैं दफनाना चाहता था लेकिन…


बिलासपुर. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने ईसाई धर्म अपना चुके बस्तर के एक परिवार की मृत महिला का अंतिम संस्कार उसके परिजनों की इच्छा के अनुरूप उनकी निजी जमीन पर करने की अनुमति प्रदान की है. अधिवक्ता प्रवीण तुलस्यान ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मां के शव को दफनाने तक उसे तथा उसके परिजनों को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए. तुलस्यान ने बताया कि न्यायालय ने उप-महाधिवक्ता प्रवीण दास को इस आदेश की जानकारी राज्य सरकार, चिकित्सा महाविद्यालय जगदलपुर, पुलिस अधीक्षक बस्तर और परपा थाने के थानेदार को देने का निर्देश दिया.

अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय में सोमवार को न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू ने कहा कि यह पहले से ही कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रत्येक व्यक्ति को सभ्य जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है. जीवन के अधिकार का तात्पर्य मानवीय गरिमा के साथ सार्थक जीवन से है. यह अधिकार उस व्यक्ति पर भी लागू होता है जिसकी मृत्यु हो चुकी है. तुलस्यान ने बताया कि बस्तर जिले के एर्राकोट गांव के रामलाल कश्यप ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि उनकी मां की 28 जून को स्वाभाविक मृत्यु हो गई. वह अपनी ही जमीन पर मां के शव को दफनाना चाहता है, लेकिन परपा थाने की पुलिस ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.

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मां के शव को अपनी ही जमीन पर ईसाई रीति से दफनाना चाहता था याचिकाकर्ता
अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने कश्यप से कहा कि शव को 15 किलोमीटर दूर कोरकापाल गांव में ले जाकर दफन करें, जहां पर एक अलग कब्रिस्तान बनाया गया है. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता अपनी मां के शव को कहीं अन्य स्थान पर ले जाने के बजाय उसे अपनी ही जमीन पर ईसाई रीति से दफनाना चाहता है. शव को जगदलपुर के चिकित्सा महाविद्यालय में रखा गया है. अधिवक्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति साहू ने सोमवार के अपने आदेश में मोहम्मद लतीफ के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धार्मिक रीति-रिवाज से अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का अधिकार है.

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शव को दफनाने तक याचिकाकर्ता और परिजनों को पुलिस सुरक्षा
उन्होंने बताया कि न्यायालय ने जगदलपुर चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों को मृतका का शव उसके पुत्र को सौंपने का निर्देश देते हुए दो जुलाई को अपने ही गांव की निजी भूमि में उसे दफनाने की अनुमति प्रदान की है. अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक, बस्तर को भी निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मां के शव को दफनाने तक उसे तथा उसके परिजनों को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए.

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