हाथ की चक्की से पुराने जमाने में घरों में पीसे जाते थे गेहूं, लोगों का स्वास्थ्य भी रहता था अच्छा, जानें क्यों हो रही गायब
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Quern:- पहले के जमाने में लोगों द्वारा घरों में हाथ की चक्की का इस्तेमाल होता था, जो दो पत्थरों की बनी हुई होती थी. घर की सारी चीजों को पीसने का काम उसी के जरिए किया जाता था, लेकिन आज के समय में इसका इस्तेमाल ल…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- हाथ की चक्की से शुद्ध भोजन मिलता था.
- ग्रामीण इलाकों में अब भी चक्की का उपयोग होता है.
- अब त्योहारों पर ही कहीं चक्की का इस्तेमाल होता है
मधुबनी:- चक्की जिसे मैथिली भाषा में जात(जात्ता) कहा जाता है. इसका इस्तेमाल सदियों से होते आया है. करीब 100 साल पहले से भी इसका उपयोग होता था, लेकिन आज के समय में इसका उपयोग लगभग खत्म होने के कगार पर है. जब मिक्सर और चक्की मशीन नहीं आई थीं, तो लोग पूरी तरह से पत्थर की बनी जात(जात्ता) पर निर्भर रहते थे. मसाले पीसने हो या दाल या फिर आटे के लिए गेहूं लोग इसी के जरिए बना कर रख दिया करते थे, और उसे ही भोजन बनाने में इस्तेमाल किया जाता था. आपको बता दें, कि इसकी वजह से लोगों को शुद्ध चीजें तो मिलती ही थीं, साथ में उनकी सेहत भी बनी रहती थी.
लोग अब सिर्फ त्योहारों पर ही लोग करते हैं इस्तेमाल
आपको बता दें, कि आज के समय में ये दृश्य कम देखने को मिलता है. ग्रामीण इलाकों की महिलाएं या आर्थिक रूप से कमजोर इसका उपयोग आज भी करती हैं, क्योंकि इसमें लागत कम है, और काम अच्छा होता है. ऐसा नहीं है कि लोगों ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया है, लेकिन वे त्योहार जैसे छठ, पूजा पाठ, भोग, प्रसाद के लिए ही इस्तेमाल करते हैं. बता दें, कि इसमें समय की ज्यादा खपत होती थी, लेकिन लोगों के समय की बाहर से खरीद कर चीजें लाने में बचत हो जाती है.
स्वास्थ्य के लिए होती है लाभदायक
आपको बता दें, कि पहले लोग कम बीमार पड़ते थे , क्योंकि शुद्ध भोजन करते थे, और शारीरिक मेहनत भी ज्यादा करते थे. आज लोग जिम जाते हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल से जिम जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी.
Madhubani,Bihar
January 31, 2025, 10:14 IST