हिजबुल्‍लहा को मिटाकर ही दम लेंगे नेतन्‍याहू, दोस्‍त अमेरिका की भी क्‍यों बात नहीं मान रहे? मजबूरी या कुछ और वजह


हाइलाइट्स

हमास के बाद अब इजरायल हिजबुल्‍लाह के खिलाफ जंग की तैयारी में है.लेबनान में इजरायली सेना लगातार बम बरसा रही हैं. जल्‍द ही इजरायल लेबनान में ग्राउंड ऑपरेशन की भी तैयारी कर रहा है.

नई दिल्‍ली. हमास के बाद अब इजरायल का अगला टारगेट लेबनान में बैठा हिजबुल्‍लाह है. अपनी उत्‍तरी सीमा से सटे लेबनान में लगातार हवाई हमले करने के बाद अब इजरायल वहां ग्राउंड ऑपरेशन की तैयारी कर रहा है. अमेरिका और यूरोप जैसे देश लगातार इजरायल पर सीजफायर का दबाव बना रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतन्‍याहू चाहकर भी दूसरे युद्ध से पीछे नहीं हट सकते हैं. गाजा पट्टी में हमास पर एक्‍शन लेने के बाद उन्‍हें लेबनान में भी घुसकर हिजबुल्‍लाह के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी. ऐसा करने के पीछे नेतन्‍याहू का आतंकवाद के खिलाफ सख्‍त रुख से ज्‍यादा राजनीतिक मजबूरिया नजर आ रही हैं.

दरअसल, इजरायल में जिस सरकार को लीड कर रहे हैं वो एक पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है. वो एक गठबंधन की सरकार है. नेतन्‍याहू उन दक्षिणपंथी सदस्यों के समर्थन पर निर्भर हैं, जिन्होंने गाजा युद्ध में लगातार संघर्ष विराम का विरोध किया है, जो अभी भी जारी है. एक दक्षिणपंथी मंत्री ने धमकी दी है कि अगर इजराइली प्रधानमंत्री प्रस्तावित संघर्ष विराम योजना से सहमत होते हैं, तो वे नेतन्याहू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे.

इतामार बेन ग्वीर ने पार्टी के एक बयान में कहा, “अगर हिजबुल्लाह के साथ एक अस्थायी संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो यहूदी शक्ति गुट गठबंधन के सभी दायित्वों को पूरा नहीं करेगा. इसमें मतदान, सरकार और कैबिनेट की बैठकों में भाग लेना और गठबंधन की कोई भी गतिविधि शामिल है. उन्होंने संघर्ष विराम पर इस्तीफा देने की कसम खाई. इतामार बेन-ग्विट राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग के प्रमुख भी है. इसके अलावा वित्त मंत्री बेज़ेल स्मोट्रिच ने भी शांति समझौते का विरोध किया है. नेतन्याहू को अगर सत्ता में बने रहना है तो इन दो बड़े नेताओं और उनकी पार्टियों को साथ रखना होगा.

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