हिमाचल में भोलेनाथ की नगरी, यहां रावण ने किया था भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप Shiv Mandir Baijnath where Ravan worshiped lord Shiva 


कांगड़ा. हिमाचल प्रदेश को भोलेनाथ की नगरी कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि यहां बहुत से स्थल हैं जहां भगवान शिव से जुड़े पौराणिक किस्से घटे हैं. जिला कांगड़ा में स्थित शिव नगरी बैजनाथ भगवान भोलेनाथ के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. हालांकि, बहुत कम लोगों को पता है कि बैजनाथ में रावण का एक मंदिर और कुंड भी मौजूद हैं. मान्यता के अनुसार, लंकापति रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने नौ सिरों को काटकर कुंड में जला दिया था. शिव नगरी ने भले ही रावण को भूल दिया हो, लेकिन भगवान शिव आज भी अपने प्रिय भक्त रावण की भक्ति को नहीं भूलते.

यहां नहीं जलता रावण का पुतला
बैजनाथ, जो रावण की तपोस्थली रही है, दशहरे के दिन यहां रावण का पुतला नहीं जलता. देश के अन्य हिस्सों में दशहरे पर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन बैजनाथ एक ऐसा स्थान है जहां रावण का पुतला जलाना शुभ नहीं माना जाता. मान्यता है कि यदि यहां रावण का पुतला जलाया जाए तो उसकी मृत्यु हो जाती है.

जब पुतला जलाने से हुई मृत्यु
1965 में बैजनाथ में एक भजन मंडली के बुजुर्ग सदस्यों ने मंदिर के सामने रावण का पुतला जलाने की प्रथा शुरू की. इसके बाद भजन मंडली के अध्यक्ष की मृत्यु हो गई और अन्य सदस्यों के परिवार पर भी विपत्ति आई. इसके दो साल बाद बैजनाथ में दशहरे पर पुतला जलाना बंद कर दिया गया. इसके अलावा, बैजनाथ से दो किलोमीटर दूर पपरोला ठारू गांव में भी कुछ समय तक रावण का पुतला जलाया गया, लेकिन वहां भी इस प्रथा को बंद कर दिया गया.

मंदिर के पुजारियों की मान्यता
मंदिर के पुजारी सुरेंद्र आचार्य, धर्मेंद्र शर्मा और संजय शर्मा बताते हैं कि बैजनाथ शिव नगरी और रावण की तपोस्थली है. रावण ने यहां कई साल तपस्या की थी. वे मानते हैं कि इसी प्रभाव के चलते रावण का पुतला जलाने का प्रयास करने वालों की मृत्यु हो गई.  यही कारण है कि बैजनाथ में दशहरे पर पुतला जलाने की प्रथा समाप्त हो गई.

बैजनाथ में सोने की दुकान की अनुपस्थिति
बैजनाथ में लगभग 700 दुकानें हैं, लेकिन यहां एक भी सोने की दुकान नहीं है. स्थानीय लोगों को सोने की खरीदारी के लिए पास के बाजार पपरोला जाना पड़ता है. कहा जाता है कि यहां सोने की दुकान खोलने पर व्यापार तबाह हो जाता है.  जानकारी के अनुसार, यहां दो बार सोने की दुकान खोली गई थी, लेकिन वे सफल नहीं हो पाईं. किंवदंती है कि एक बार सुनार ने वेष बदलकर विश्वकर्मा के रूप में आकर जगत जननी को ठगा था. जब भोलेनाथ को इसका पता चला, तो उन्होंने श्राप दिया कि बैजनाथ में सोने की दुकान कभी सफल नहीं होगी.

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