अत्यधिक त्रुटिपूर्ण: अमेरिकी शिक्षाविद् बाबोन्स ने प्रेस स्वतंत्रता सर्वेक्षणों पर सवाल उठाए

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अमेरिकी शिक्षाविद् सेल्वाटोर बेबोन्स ने मंगलवार को उन पश्चिमी सर्वेक्षणों पर सवाल उठाया जो देशों की प्रेस की स्वतंत्रता पर अपने विश्लेषण प्रकाशित करतें हैं, उन्होंने 2024 के एक ऐसे अध्ययन का वर्णन किया जिसमें भारत को खराब रेटिंग दी गई थी.

CNN-News18 के राइजिंग भारत समिट में बोलते हुए, उन्होंने वी-डेम इंस्टीट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट 2024 का जिक्र करते हुए आश्चर्य जताया कि ऐसे सर्वेक्षणों में आंकड़े कहाँ से लिए गये थे और क्या भारत के मुख्यधारा के पत्रकारों से पूछताछ की गई थी, जिसमें भारत को “सबसे खराब निरंकुश राष्ट्रों’ में से एक” कहा गया था.”

सेल्वाटोर बेबोन्स (@ProfBabones) ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का मूल्यांकन अक्सर देश में सीधे सर्वेक्षण करने के बजाय भारतीय पत्रकारों को भेजे गए सर्वेक्षणों पर निर्भर करता है.

दुनिया भर में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाले संस्थान की इस महीने की शुरुआत में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 18% आबादी के साथ, भारत उन देशों में रहने वाली लगभग आधी आबादी का हिस्सा है जो निरंकुश होते जा रहे हैं.

बैबोन्स ने कहा कि भले ही वी-डेम इंस्टीट्यूट, स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय से संबंधित एक प्रतिष्ठित यूरोपीय शोध संस्थान है, परन्तु मुझे उनकी कार्यप्रणाली पर संदेह है.

उन्होंने कहा कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन अक्सर राजनीतिक वैज्ञानिकों और ‘कट्टरपंथी, मार्क्सवादी’ वेबसाइट पत्रकारों द्वारा किया जाता है और यह प्रत्यक्ष सर्वेक्षणों पर आधारित नहीं है जिसमें मुख्यधारा के प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करने वाले पत्रकार शामिल होते हैं.

बेबोन्स ने कहा “लोकतंत्र को मापने के लिए उनके पास एक अत्यधिक त्रुटिपूर्ण सांख्यिकीय पद्धति है. उनके पाँच प्रमुख संकेतक हैं. उनमें से दो हैं ‘क्या किसी देश में चुनाव होते हैं’ और ‘क्या सभी को मतदान करने की अनुमति है’. और इनका पूरी तरह से प्रो फॉर्मा के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है, उदाहरण के लिए, वियतनाम को अपने चुनावों के लिए एक आदर्श स्कोर मिलता है, इस तथ्य के बावजूद कि इसमें केवल एक राजनीतिक दल को चुनाव लड़ने की अनुमति है.”

उन्होंने आगे कहा कि, “वी-डेम ने हाल ही में भारत को सम्पूर्ण विश्व में 110वां स्थान दिया है, जो मुझे लगता है कि एक मजाक है. लेकिन यह रेटिंग वी-डेम स्वयं नहीं कर रहा है. वी-डेम द्वारा किये जा रहे अधिकांश भेदभाव उनके सर्वेक्षण परिणामों पर आधारित है. वे ज्यादातर राजनीतिक वैज्ञानिकों के विचारों के आधार पर सर्वेक्षण करते हैं. अतः, मुख्य रूप से भारतीय राजनीतिक वैज्ञानिक वी-डेम का उपयोग करके भारत का मूल्यांकन (श्रृंखलात्मक आनुभविक संकेतकों के आधार) कर रहे हैं.

बैबोन्स ने यह भी कहा कि यह तथ्य चौंकाने वाला था कि हांगकांग मीडिया पर कार्रवाई के बावजूद प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में भारत हांगकांग से 20 स्थान नीचे था, जो कभी स्वतंत्र माना जाता था, लेकिन कई मीडिया संस्थानों को नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने के लिए बंद होने पर मजबूर किया जा रहा है.

Tags: Rising Bharat Summit



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