अद्भुत…अविश्वसनीय! ये है 5 साल का नन्हा कवि, चुटकियों में किसी भी चीज पर रच देता है कविता
चन्दन गुप्ता/देवरिया. काव्य, कविता या पद्य ये सभी साहित्य की विधा है. इसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है.भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है. इसी कड़ी में आज हम आपकी मुलाकात करा रहे हैं देवरिया के इस नए कवि से जिसकी उम्र मात्र 5 वर्ष है.अगर इस नन्हे कवि को वीर रस कवि या आशु कवि के रूप में संज्ञा दी जाए तो बिल्कुल सटीक बैठेगा. जी हां, क्योंकि यह मासूम सा दिखने वाला कवि कविता पाठ करते-करते इतना रौद्र रूप धारण कर लेता है कि मानो कोई बड़े मंच का कवि काव्य पाठ कर रहा है.
देवरिया के आजाद नगर में रहने वालाक विराज अर्नव अभी पहली कक्षा का विद्यार्थी है.जिसकी उम्र 5 वर्ष है. लेकिन कविताओं से लगाव 2 वर्ष पहले से ही हो गया.जरा सोचिए 3 वर्ष का नन्हा बच्चा कविताएं तारतम्यता से बोलने लगे. तो निश्चित ही यह मासूम सा दिखने वाला कविराज अर्नव आगे चलकर साहित्य के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल करेगा.
पिता से मिली प्रेरणा
अर्नव के पिता का कहना है यह बच्चा अपने आप में एक अद्भुत है.कभी-कभी कविता पाठ करते करते उसका वो रूद्र रूप सामने आ जाता है कि वह खुद भयभीत हो जाते हैं कि इतनी छोटी उम्र में यह चमत्कार कैसे.अर्नव के पिता का यह भी कहना है कि इस बच्चे के अंदर एक और प्रतिभा है कि इनके सामने कोई भी वस्तु रख दी जाय तो उस पर यह अचानक से कविताएं बोलने लगते हैं. यह अपने आप में एक टैलेंट है जो महज 5 वर्ष की उम्र में देखने को मिलता है.
अर्नव का स्वभाव गुस्से वाला है
इस मासूम नन्हे कवि के बारे में बातचीत करते वक्त यह पता चला कि यह बेहद गुस्से वाले है. जब यह गुस्सा करते है तो यह किसी की नहीं सुनते और एक वीर रस के कवि में इस छवि का होना स्वभाविक है. जब नन्हे कवि से पूछा गया कि क्या आगे चलकर आपको कवि बनना है ? तो इस मासूम का कहना है कि मुझे कवि नहीं बनना मैं कबी हूं.इस मासूमियत भरे जवाब का अर्थ यह निकलता है कि यह बच्चा निश्चित ही आगे चलकर साहित्य और काव्य पाठ के क्षेत्र में एक अलग ही मुकाम हासिल करेगा.
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FIRST PUBLISHED : August 14, 2023, 11:58 IST